अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस (International Widows Day) हर साल 23 जून को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर की करोड़ों विधवाओं की चुनौतियों पर प्रकाश डालता है—जो अक्सर लैंगिक समानता और मानवाधिकारों की चर्चाओं में अदृश्य रह जाती हैं। इसकी शुरुआत 2005 में लूम्बा फाउंडेशन (Loomba Foundation) ने की थी, और 2010 में संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा इसे आधिकारिक मान्यता मिली। इस दिन का उद्देश्य विधवाओं को गरिमा, न्याय और समानता दिलाना है।
“कानूनी अधिकारों और समावेशी विकास के माध्यम से विधवाओं को सशक्त बनाना”
हालांकि आधिकारिक थीम की घोषणा अभी नहीं हुई है, लेकिन अनुमानित थीम विधवाओं को कानूनी और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की वैश्विक मांग को दर्शाती है।
संस्थापक: लूम्बा फाउंडेशन (यूके), राज लूम्बा द्वारा स्थापित
पहली बार मनाया गया: 2005
UN द्वारा मान्यता: 2010
प्रेरणा: 23 जून 1954 को राज लूम्बा की मां विधवा हुई थीं — उसी तारीख को दिवस के रूप में चुना गया।
उद्देश्य: विधवाओं के अधिकारों को अंतरराष्ट्रीय नीति-निर्माण का हिस्सा बनाना।
यह दिन केवल प्रतीकात्मक नहीं है, बल्कि यह विधवाओं की वास्तविक समस्याओं को उजागर कर:
सरकारों
गैर-सरकारी संगठनों
नागरिक समाज
आम जनता
से सकारात्मक कार्रवाई की मांग करता है।
जागरूकता बढ़ाना – भेदभाव, गरीबी और हानिकारक प्रथाओं के बारे में।
कानूनी सुधार को बढ़ावा देना – संपत्ति अधिकार, न्याय तक पहुंच, हिंसा से सुरक्षा।
आर्थिक सशक्तिकरण – प्रशिक्षण, सूक्ष्म ऋण, शिक्षा और स्वरोजगार।
सामाजिक समावेश – विधवाओं को मुख्यधारा में जोड़ना, कलंक खत्म करना।
SDGs को बढ़ावा देना – विशेष रूप से:
SDG 1: गरीबी उन्मूलन
SDG 5: लैंगिक समानता
SDG 8: गरिमापूर्ण रोजगार
पति की मृत्यु का दोषारोपण
त्यौहारों और सामाजिक आयोजनों से बहिष्करण
“अशुभ” मानना
संपत्ति या पेंशन पर अधिकार नहीं
रोजगार के अवसर सीमित
पारंपरिक कानूनों की प्राथमिकता
न्यायिक जानकारी की कमी
जबरन पुनर्विवाह
विधवा शुद्धिकरण जैसी अमानवीय परंपराएँ
मानव तस्करी का खतरा
अकेलापन, अवसाद, PTSD
परामर्श और चिकित्सा सेवाओं की कमी
विधवा अधिकारों को नीति में शामिल करना
जन-जागरूकता अभियान
Human Rights Watch, HelpAge International, Women for Women International जैसे संगठन
भारत, केन्या, नेपाल जैसे देशों में
माइक्रो-लोन, प्रशिक्षण, चिकित्सा, कानूनी सहायता
भारत: राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना
बांग्लादेश: विधवा भत्ता
रवांडा: विधवा पुनर्वास नीति (नरसंहार के बाद)
| रणनीति | उद्देश्य |
|---|---|
| संपत्ति अधिकार | विवाह पंजीकरण न होने पर भी संपत्ति में हक़ |
| हानिकारक परंपराओं पर प्रतिबंध | विधवा शुद्धिकरण, बाल विवाह, पुनर्विवाह की बाध्यता |
| समावेशी नीतियाँ | आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेंशन |
| कानूनी साक्षरता और सहायता | निशुल्क कानूनी सेवाएं और परामर्श |
| शासन में भागीदारी | विधवाओं को स्थानीय और राष्ट्रीय नीति में भागीदारी देना |
| क्रिया | विवरण |
|---|---|
| शिक्षा और वकालत | विधवाओं की कहानियाँ साझा करें, कानूनों के लिए आवाज़ उठाएं। |
| NGO के साथ स्वयंसेवा | प्रशिक्षण, कानूनी सहायता, शिक्षा में सहयोग करें। |
| वित्तीय समर्थन दें | लूम्बा फाउंडेशन जैसी संस्थाओं को दान करें। |
| सशक्तिकरण | विधवाओं को स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए प्रशिक्षित करें। |
| समावेश को बढ़ावा दें | सामाजिक गतिविधियों में विधवाओं को आमंत्रित करें। |
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