हर साल 22 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस (International Stuttering Awareness Day) मनाया जाता है। हकलाना एक बोलने से सम्बंधित एक विकार है जिसके प्रति जागरूकता के लिए यह दिन मनाया जाता है। कई बार इंसान बोलते समय हकलाने पर असहज महसूस करता है, लोगों को उनका मजाक भी बनाते हुए देखा जाता है। इससे वह इंसान भावनात्मक रूप से मायूस महसूस करता है। भारत में भी हकलाहट से 1.5 फीसदी लोगों के ग्रसित होने का दावा किया जाता है। हर दिन हकलाहट से ग्रसित लोगों को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
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अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस का महत्व
निश्चित रूप से यह दिन एक अलग अहमियत रखता है। हकलाहट से ग्रसित लोगों को उस शर्मिंदगी से बाहर लाने के लिए अहम है, जो वे रोजमर्रा के जीवन में झेलते हैं। भावनात्मक सपोर्ट के अलावा हकलाहट के इलाज पर चर्चा करने वाली संगोष्ठियों का आयोजन भी इस दिन होता है। इस पर खुलकर बात की जाती है इसलिए हकलाहट जागरूकता दिवस की अलग अहमियत हो जाती है। उन लाखों लोगों के जीवन में जागरूकता से नई रोशनी आ सकती है।
अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय हकलाहट जागरूकता दिवस सबसे पहले 1998 में नामित किया गया था। जागरूकता के एक अभियान के रूप में इसे मनाने का फैसला लिया गया था। इसे सामाजिक चिंता मानते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने का फैसला लिया गया। यह अंतरराष्ट्रीय स्टटरिंग एसोसिएशन (International Stuttering Association), इंटरनेशनल फलूएन्सी एसोसिएशन (International Fluency Association) और यूरोपियन लीग ऑफ़ स्टटरिंग एसोसिएशन (European League of Stuttering Associations) के तत्वाधान में शुरू किया गया अभियान है।