अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (International Epilepsy Day – IED) हर साल फरवरी के दूसरे सोमवार को मनाया जाता है। यह दिवस 2015 से शुरू हुआ और इसका उद्देश्य मिर्गी से पीड़ित रोगियों को एकजुट करना, उनकी समस्याओं पर चर्चा करना और इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
इस दिन का उद्देश्य मिर्गी (एपिलेप्सी) के बारे में जागरुकता बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों को बीमारी, इसके लक्षण और निवारक उपायों के बारे में जानकारी देना है। इस कार्यक्रम का प्रबंधन और आयोजन दो संगठनों इंटरनेशनल लीग अगेंस्ट एपिलेप्सी (ILAE) और इंटरनेशनल ब्यूरो फॉर एपिलेप्सी (IBE) द्वारा किया जाता है। इसमें व्यक्तियों व समाज के बड़े वर्गों पर मिर्गी के प्रभाव को लेकर चर्चा की जाती है।
इस वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2025 को 10 फरवरी (सोमवार) को “MyEpilepsyJourney” थीम के साथ मनाया गया।
मिर्गी को समझना
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें बार-बार दौरे (सीज़र्स) पड़ते हैं। यह बीमारी न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करती है। वैश्विक स्तर पर लगभग 65 करोड़ लोग मिर्गी से ग्रसित हैं, जिनमें से 80% विकासशील देशों में रहते हैं। इन देशों में हर 1,00,000 लोगों पर 40 से 70 नए मामलों की दर दर्ज की गई है।
भारत में मिर्गी का प्रभाव
भारत में प्रति 1000 लोगों पर 5.59 से 10 लोगों को मिर्गी होती है। भारत में 1 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जो कुल जनसंख्या का लगभग 1% है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक देखी जाती है (1.9%) जबकि शहरी क्षेत्रों में यह अनुपात 0.6% है।
अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस 2025 की थीम
इस वर्ष की थीम “MyEpilepsyJourney” है, जो मिर्गी रोगियों को अपने अनुभव साझा करने के लिए प्रेरित करती है। इसका उद्देश्य लोगों को मिर्गी की वास्तविकता से अवगत कराना और रोगियों को बेहतर देखभाल तथा समर्थन प्रदान करना है।
अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का महत्व
यह दिवस मिर्गी रोगियों की समस्याओं को उजागर करता है और उनके उपचार व जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करता है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित है:
- मिर्गी से जुड़े कलंक (stigma) को कम करना
- मेडिकल रिसर्च के लिए अधिक धन जुटाना
- रोगियों के लिए रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों में सुधार करना
मिर्गी से जुड़ी सामाजिक चुनौतियां
मिर्गी रोगियों को अक्सर भेदभाव और सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ता है। कई देशों में उन्हें नौकरी, विवाह और ड्राइविंग जैसे अधिकारों पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2023 की थीम “Stigma” भी मिर्गी से जुड़े सामाजिक भेदभाव को दूर करने पर केंद्रित थी।
अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस का इतिहास
यह दिवस 2015 में अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी संघ (IBE) और अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी लीग (ILAE) द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य रोगियों की कहानियों को साझा करना और मिर्गी के उपचार और नीति-निर्माण को बढ़ावा देना है।
मिर्गी की रोकथाम: जोखिम कम करने के उपाय
मिर्गी को रोकने के लिए कुछ प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं:
- मस्तिष्क की चोटों से बचाव: हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करें।
- स्ट्रोक और हृदय रोगों की रोकथाम: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान से बचाव करें।
- बीमारियों से बचाव: मैनिंजाइटिस जैसी बीमारियों के लिए टीकाकरण कराएं।
- स्वच्छता बनाए रखना: टेपवर्म (Taenia solium) से बचाव के लिए स्वच्छ भोजन और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस एक महत्वपूर्ण पहल है, जो इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए जागरूकता और सहानुभूति बढ़ाने में मदद करती है।