हर साल 9 दिसंबर को “अंतर्राष्ट्रीय नरसंहार पीड़ित स्मरण और रोकथाम दिवस” के रूप में मनाया जाता है। यह दिन नरसंहार के पीड़ितों को सम्मानित करने और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को दोहराने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन को 9 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र नरसंहार रोकथाम और दंड संधि (Genocide Convention) की स्वीकृति की वर्षगांठ के रूप में भी याद किया जाता है।
1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई इस संधि ने नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय अपराध घोषित किया और इसे रोकने और दंडित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जिम्मेदार बनाया।
2015 से, संयुक्त राष्ट्र ने 9 दिसंबर को “नरसंहार रोकथाम दिवस” के रूप में मनाना शुरू किया। यह दिन अतीत के नरसंहारों से सबक लेने और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सामूहिक संकल्प को मजबूत करने का प्रतीक है।
“नरसंहार” शब्द की उत्पत्ति 1942 में पोलिश-यहूदी वकील राफेल लेमकिन द्वारा की गई थी। उनकी पुस्तक Axis Rule in Occupied Europe (1944) में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए अत्याचारों, विशेषकर होलोकॉस्ट, को दर्शाया गया। उनकी कोशिशों से नरसंहार को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराध घोषित किया गया।
नरसंहार को ऐसे कार्यों के रूप में परिभाषित किया गया है, जो किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय, या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किए जाते हैं। इनमें शामिल हैं:
यह दिन हमें इतिहास से सबक लेने और मानव गरिमा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने की प्रेरणा देता है।
| Heading | Details |
|---|---|
| चर्चा में क्यों? | 9 दिसंबर को नरसंहार के पीड़ितों के सम्मान और स्मरण के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि पीड़ितों को सम्मानित किया जा सके और नरसंहार की रोकथाम को बढ़ावा दिया जा सके। |
| महत्व | 1948 के संयुक्त राष्ट्र नरसंहार सम्मेलन को अपनाने का प्रतीक है, जिसने नरसंहार को एक अंतरराष्ट्रीय अपराध के रूप में परिभाषित किया और राष्ट्रों को रोकथाम और दंड के लिए प्रतिबद्ध किया। |
| इतिहास | संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में प्रस्तुत किया गया। “नरसंहार” शब्द 1942 में राफेल लेमकिन द्वारा गढ़ा गया था और पहली बार नरसंहार सम्मेलन में कानूनी रूप से परिभाषित किया गया था। |
| नरसंहार सम्मेलन के प्रमुख प्रावधान | नरसंहार में शामिल हैं: किसी समूह के सदस्यों की हत्या करना, गंभीर क्षति पहुंचाना, विनाशकारी परिस्थितियां पैदा करना, जन्म रोकना, या बच्चों को जबरन स्थानांतरित करना। |
| नरसंहार के प्रभाव | – बड़े पैमाने पर गरीबी: आजीविका नष्ट करती है। – कमजोर बुनियादी ढांचा: सड़क, बिजली और सेवाओं को बाधित करता है। – बढ़ता अपराध: गरीबी अपराध को जन्म देती है। – बाधित शिक्षा: स्कूल और शिक्षा तक पहुंच खत्म हो जाती है। – आर्थिक गिरावट: कार्यबल की कमी से सुधार में बाधा आती है। – राजनीतिक अस्थिरता: दशकों तक देशों को असुरक्षित बनाती है। – स्वास्थ्य संकट: एचआईवी/एड्स जैसी बीमारियों से स्वास्थ्य सेवा प्रणाली प्रभावित होती है। – अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना: कमजोर समूहों को अत्याचार का सामना करना पड़ता है। |
| निवारक उपाय | – मानवाधिकारों और समानता को बढ़ावा देना। – अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और जवाबदेही को मजबूत करना। – शिक्षा और कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता फैलाना। |
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