अंतरराष्ट्रीय नरसंहार अपराध के पीड़ितों की स्मृति और गरिमा का दिवस हर वर्ष 9 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन नरसंहार (Genocide) की भयावह घटनाओं को याद करने, पीड़ितों को सम्मान देने और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए वैश्विक संकल्प को दोहराने का एक गंभीर अवसर होता है। साल 2025 इस दिवस की दसवीं वर्षगांठ है, जो पिछले दशक की प्रगति की समीक्षा और नई चुनौतियों पर चर्चा का अवसर भी प्रदान करती है।
यह दिवस 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य—
1948 के Genocide Convention के प्रति जागरूकता बढ़ाना
याद दिलाना कि नरसंहार अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक अपराध है
और सभी देशों का दायित्व है कि वे नरसंहार को रोकें और दोषियों को दंडित करें
सितंबर 2025 में UN ने Resolution A/RES/79/328 अपनाया, जिसमें यह चिंता जताई गई कि अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद नरसंहार का खतरा बरकरार है।
इस प्रस्ताव के अनुसार—
हर राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह अपनी आबादी को नरसंहार से बचाए
इससे जुड़े उत्तेजनाओं को रोकना, न्याय सुनिश्चित करना और कानूनी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है
दण्ड-मुक्ति (impunity) के खिलाफ लड़ना अत्यंत आवश्यक है
10वीं वर्षगांठ पर UN महासभा एक पूर्ण-दिवसीय उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित कर रही है। इसमें शामिल होंगे—
UN सदस्य देश
अंतरराष्ट्रीय संगठन
सिविल सोसाइटी
नरसंहार पीड़ित/बचे हुए लोग
शैक्षणिक जगत और मीडिया
बैठक में निम्न विषयों पर चर्चा होगी—
नरसंहार रोकथाम के बेहतरीन वैश्विक अभ्यास
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ती नफरत, भड़काऊ भाषण और जातीय हिंसा
Early Warning Systems की जरूरत
1994 के रवांडा नरसंहार और 1995 के स्रेब्रेनेचा नरसंहार से सीख
शांति-निर्माण में शिक्षा की भूमिका
UN के अनुसार प्रभावी रोकथाम के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण जरूरी है—
1948 Genocide Convention का कड़ाई से पालन
शुरुआती चेतावनी तंत्र और जोखिम मूल्यांकन
नफरत, भेदभाव और नरसंहार से इनकार के खिलाफ सार्वजनिक शिक्षा
पीड़ितों और बचे लोगों के समर्थन व स्मारक पहल
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोहराया है कि— “नरसंहार को रोकने और अपराधियों को दंडित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों की है।”
UN Genocide Convention (1948) के अनुसार, नरसंहार वह कृत्य है जिसमें किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने का इरादा शामिल हो। इसमें शामिल हो सकते हैं—
समूह के सदस्यों की हत्या
शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाना
जीवन की ऐसी परिस्थितियाँ थोपना जिससे समूह समाप्त हो जाए
जन्म रोकना
बच्चों को जबरन एक समूह से दूसरे समूह में स्थानांतरित करना
नरसंहार को सबसे गंभीर अंतर्राष्ट्रीय अपराधों में गिना जाता है।
9 दिसंबर को हर वर्ष नरसंहार पीड़ितों की स्मृति और गरिमा का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
2025 इस दिवस का दसवां वर्ष है, जिसमें UN उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित कर रहा है।
प्रस्ताव A/RES/79/328 में देशों से नरसंहार रोकने, भड़काऊ भाषण रोकने और अपराधियों को दंडित करने की अपील की गई है।
रवांडा (1994) और स्रेब्रेनेचा (1995) जैसे नरसंहार यह दिखाते हैं कि समय पर कार्रवाई न होने के क्या परिणाम हो सकते हैं।
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