हिंसक उग्रवाद वैश्विक शांति, मानवाधिकारों और सतत विकास के लिए एक गंभीर खतरा है। यह किसी विशिष्ट क्षेत्र, धर्म, राष्ट्रीयता या विचारधारा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चुनौती बना हुआ है। आईएसआईएल, अल-कायदा और बोको हराम जैसी उग्रवादी समूहों ने आतंकवाद, क्षेत्रीय नियंत्रण और डिजिटल प्रचार के माध्यम से हिंसक उग्रवाद की आधुनिक परिभाषा को प्रभावित किया है।
हिंसक उग्रवाद का प्रभाव
हिंसक उग्रवाद के कारण कई सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मानवीय संकट: आम नागरिक हिंसा, विनाश और विस्थापन का शिकार बनते हैं।
- बलपूर्वक प्रवास: लाखों लोग संघर्ष क्षेत्रों से पलायन करने को मजबूर होते हैं, जिससे शरणार्थी संकट बढ़ता है।
- कट्टरता और भर्ती: उग्रवादी संगठन लोगों को पहचान, शक्ति और बदलाव का झूठा आश्वासन देकर अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
- राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता: हिंसा से प्रशासन प्रभावित होता है, जिससे आर्थिक गिरावट और दीर्घकालिक अस्थिरता बढ़ती है।
हिंसक उग्रवाद को किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन इसके मूल कारणों को समझना प्रभावी समाधान तैयार करने के लिए आवश्यक है। अन्याय, उत्पीड़न, आर्थिक असमानता और कमजोर शासन जैसे कारक अक्सर कट्टरपंथी विचारों को पनपने का अवसर देते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना और महत्व
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव 77/243 के तहत 12 फरवरी को हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया। इस दिन का उद्देश्य है:
- हिंसक उग्रवाद के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- उग्रवादी विचारधाराओं से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना।
- शांति पूर्ण समाधानों और निवारक उपायों को बढ़ावा देना।
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्पष्ट किया है कि हिंसक उग्रवाद को किसी विशेष धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसके बजाय, इसकी रोकथाम के लिए सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज, धार्मिक नेताओं और मीडिया प्लेटफार्मों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
हिंसक उग्रवाद की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र की कार्ययोजना
15 जनवरी 2016 को, संयुक्त राष्ट्र ने हिंसक उग्रवाद से निपटने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना प्रस्तुत की, जो परंपरागत आतंकवाद विरोधी उपायों से आगे बढ़कर मूल कारणों को संबोधित करने पर केंद्रित थी।
इस योजना में 70 से अधिक अनुशंसाएँ शामिल हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
- शासन और कानून का सशक्तिकरण
- भ्रष्टाचार, मानवाधिकार हनन और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करने के लिए सुशासन आवश्यक है।
- पारदर्शी न्याय प्रणाली और कानूनी ढाँचे चरमपंथियों द्वारा शोषित शिकायतों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- शिक्षा और युवाओं का सशक्तिकरण
- आलोचनात्मक सोच, शांति शिक्षा और अंतर-सांस्कृतिक संवाद पर केंद्रित शिक्षा सुधारों की आवश्यकता है।
- युवाओं को उग्रवादी संगठनों की भर्ती से दूर रखने के लिए सकारात्मक विकल्प दिए जाने चाहिए।
- समुदाय और नागरिक समाज की भागीदारी
- स्थानीय समुदायों, धार्मिक नेताओं और नागरिक संगठनों के बीच सहयोग से अधिक मजबूत समाज का निर्माण किया जा सकता है।
- नागरिक समाज उग्रवाद के प्रारंभिक संकेतों की पहचान कर प्रभावी जवाबी रणनीतियाँ लागू कर सकता है।
- ऑनलाइन कट्टरता पर नियंत्रण
- उग्रवादी संगठन सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग अपने प्रचार और भर्ती के लिए करते हैं।
- इस कार्ययोजना में डिजिटल नीतियों को जिम्मेदारी से लागू करने, गलत सूचनाओं को रोकने और सकारात्मक संवाद बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
- महिला सशक्तिकरण की भूमिका
- महिलाएँ हिंसक उग्रवाद का शिकार भी बनती हैं और कई बार कट्टरपंथियों का लक्ष्य भी होती हैं।
- शांति निर्माण प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी से उग्रवाद विरोधी प्रयासों को मजबूती मिलती है।
वैश्विक और स्थानीय पहल की भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और बहुपक्षीय प्रयास
हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए विभिन्न देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और क्षेत्रीय गठबंधनों के बीच सहयोग आवश्यक है। कुछ प्रमुख वैश्विक पहलें हैं:
- संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी कार्यालय (UNOCT): वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों का नेतृत्व करता है।
- वैश्विक आतंकवाद विरोधी मंच (GCTF): आतंकवाद से निपटने में सर्वोत्तम तरीकों को बढ़ावा देता है।
- यूनेस्को की हिंसक उग्रवाद की रोकथाम हेतु शिक्षा (PVE-E): कट्टरता से निपटने के लिए शैक्षिक दृष्टिकोण पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय और स्थानीय रणनीतियाँ
अलग-अलग देश अपनी क्षेत्रीय और सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार विशेष रणनीतियाँ अपनाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- समुदाय-आधारित पुनर्वास कार्यक्रम
- कानूनी प्रवर्तन और खुफिया सहयोग
- विकास कार्यक्रम जो सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करते हैं
निष्कर्ष
हिंसक उग्रवाद को रोकने के लिए केवल सैन्य कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। इसके मूल कारणों को समझकर शासन, शिक्षा, समुदायों की भागीदारी और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर नियंत्रण के माध्यम से व्यापक रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नागरिक समाज की सक्रिय भागीदारी ही इस वैश्विक चुनौती का समाधान निकाल सकती है।
पहलू | विवरण |
क्यों चर्चा में है? | संयुक्त राष्ट्र 12 फरवरी को हिंसक उग्रवाद की रोकथाम हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है, जिसका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, शांति को बढ़ावा देना और कट्टरपंथ से लड़ना है। |
हिंसक उग्रवाद की समझ | यह एक वैश्विक खतरा है जो धर्म, राष्ट्रीयता या विचारधारा की सीमाओं से परे है। आईएसआईएल, अल-कायदा और बोको हराम जैसे संगठन आतंक, प्रचार और क्षेत्रीय नियंत्रण के माध्यम से अपने विचार फैलाते हैं। |
हिंसक उग्रवाद का प्रभाव | – मानवीय संकट: नागरिक हताहत, विनाश और विस्थापन। – बलपूर्वक प्रवासन: संघर्ष क्षेत्रों से लाखों लोग पलायन करते हैं, जिससे शरणार्थी संकट उत्पन्न होता है। – कट्टरपंथ और भर्ती: उग्रवादी संगठन सशक्तिकरण और परिवर्तन के झूठे वादों के साथ अनुयायियों को आकर्षित करते हैं। – राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता: शासन ढहता है, अर्थव्यवस्थाएँ प्रभावित होती हैं और अस्थिरता फैलती है। |
उग्रवाद के मूल कारण | – अन्याय और उत्पीड़न की भावना – आर्थिक असमानता और बेरोजगारी – सुशासन की कमी और भ्रष्टाचार – राजनीतिक और सामाजिक हाशिए पर रखा जाना |
अंतर्राष्ट्रीय दिवस का इतिहास और महत्व | संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 77/243 के तहत 12 फरवरी को आधिकारिक रूप से इस दिवस को मान्यता दी। इसका उद्देश्य: – हिंसक उग्रवाद के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना। – अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना। – कट्टरता के खिलाफ निवारक उपायों को बढ़ावा देना। |
संयुक्त राष्ट्र का दृष्टिकोण | हिंसक उग्रवाद की रोकथाम हेतु कार्ययोजना (2016) केवल आतंकवाद विरोधी उपायों तक सीमित न होकर मूल कारणों को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करती है। इसमें सदस्य देशों के लिए 70 से अधिक अनुशंसाएँ दी गई हैं। |
संयुक्त राष्ट्र कार्ययोजना की मुख्य सिफारिशें | 1. शासन और कानून व्यवस्था को मजबूत करना: भ्रष्टाचार कम करना, मानवाधिकारों को सुनिश्चित करना और शिकायतों को दूर करना। 2. शिक्षा और युवाओं का सशक्तिकरण: आलोचनात्मक सोच और अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा सुधार। 3. समुदाय और नागरिक समाज की भागीदारी: स्थानीय समुदायों, धार्मिक नेताओं और नागरिक संगठनों का सहयोग। 4. ऑनलाइन कट्टरता पर नियंत्रण: डिजिटल प्लेटफार्मों की निगरानी, तथ्य-जाँच और सकारात्मक संवाद को बढ़ावा देना। 5. महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को शांति निर्माता के रूप में सशक्त बनाना और उग्रवादी संगठनों द्वारा उनके शोषण को रोकना। |
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक प्रयास | – संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी कार्यालय (UNOCT): वैश्विक आतंकवाद विरोधी पहल का नेतृत्व करता है। – वैश्विक आतंकवाद विरोधी मंच (GCTF): आतंकवाद से निपटने के लिए सर्वोत्तम उपायों को बढ़ावा देता है। – यूनेस्को (PVE-E): शिक्षा के माध्यम से कट्टरता को रोकने पर ध्यान केंद्रित करता है। |
राष्ट्रीय और स्थानीय रणनीतियाँ | अलग-अलग देश अपनी सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार रणनीतियाँ अपनाते हैं, जिनमें शामिल हैं: – समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम – कानूनी प्रवर्तन और खुफिया सहयोग – सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने वाले विकास कार्यक्रम |