संयुक्त राष्ट्र हर वर्ष 22 अगस्त को ‘धर्म या मत के आधार पर हिंसक कृत्यों पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाता है। यह दिन धार्मिक हिंसा या विश्वास के आधार पर, धार्मिक अल्पसंख्यकों से संबंधित व्यक्तियों सहित, हिंसा और आतंकवाद को लक्षित करने वाले कार्यों की कड़ी निंदा करने के लिए मनाया जाता है।
इस दिवस का उद्देश्य
इस दिवस का उद्देश्य हिंसा से पीड़ितों का प्रचार- प्रसार करना और लोगो को हिंसा से पीड़ितों के प्रति जागरूक करना है। जिससे विश्व के लोग हिंसा से पीड़ितों की और ध्यान दें, और इसका सम्मान कर सके। इसीलिए विश्व में 22 अगस्त को धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
इस दिवस का महत्त्व
धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस का महत्त्व इसीलिए भी है की, इस दिन लोगों को हिंसा से पीड़ितों के महत्व और लोगों को हिंसा से पीड़ितों का प्रचार- प्रसार करने की शिक्षा सरकारी विभागों द्वारा दी जाती है। हिंसा से पीड़ितों के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता और महत्व के बारे में लोगो को जागरुक करने के लिए धर्म या विश्वास के आधार पर हिंसा के कृत्यों के पीड़ितों की स्मृति में अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।
इस दिन का इतिहास
पोलैंड (Poland) द्वारा प्रस्तावित 28 मई 2019 को 73 वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में इस दिन को अपनाया गया था। यह जागरूकता फैलाता है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को अपराधियों को जवाबदेह ठहराकर और सरकारों को यह प्रदर्शित करते हुए कि नरसंहार या अन्य अत्याचारों को ‘फिर कभी नहीं (never again)’ सहन करने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए, पिछले दुर्व्यवहारों से बचे लोगों के लिए न्याय प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।