PMI 60.5 पर पहुँचा: स्थिर वृद्धि का संकेत
जुलाई 2025 में भारत की सेवा क्षेत्र क्रय प्रबंधक सूचकांक (Services PMI) बढ़कर 60.5 पर पहुँच गई, जो जून में 60.4 थी और प्रारंभिक अनुमान 59.8 से भी अधिक है। यह लगातार 48वां महीना है जब सेवा क्षेत्र में विस्तार दर्ज किया गया है (PMI का 50 से ऊपर होना वृद्धि का संकेत देता है)। यह वृद्धि घरेलू उपभोग और वैश्विक सेवा निर्यात में निरंतर गति को दर्शाती है, जो महामारी के बाद भारत की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
अंतरराष्ट्रीय मांग बनी गति का प्रमुख आधार
- रिपोर्ट में विशेष रूप से नए निर्यात व्यवसाय उप-सूचकांक (new export business sub-index) में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है — जो पिछले एक वर्ष में दूसरी सबसे मजबूत रही।
- विशेषकर वित्त, बीमा, और आईटी सेवाओं की वैश्विक मांग में तेज़ उछाल देखने को मिला।
क्षेत्रीय प्रदर्शन: कौन आगे, कौन पीछे
शीर्ष प्रदर्शनकर्ता:
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वित्त और बीमा (Finance & Insurance) — नई मांगों और समग्र गतिविधि में सबसे आगे रहा।
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यह क्षेत्र आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद मजबूत बना रहा।
धीमी प्रगति वाले क्षेत्र:
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रियल एस्टेट और बिज़नेस सर्विसेज — इनमें सबसे धीमी वृद्धि देखी गई।
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कारण: बजट में कटौती और निवेश निर्णयों में देरी।
नौकरी और महंगाई की प्रवृत्ति
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रोजगार वृद्धि: सेवा क्षेत्र में कामकाज तेज़ होने के बावजूद, नौकरी वृद्धि 15 महीने के निचले स्तर पर रही — संकेत कि कंपनियाँ लागत बढ़ने के कारण सतर्क हैं।
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इनपुट लागत में बढ़ोतरी: खाद्य पदार्थ, मालभाड़ा और श्रम की कीमतें बढ़ीं।
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उत्पादन मूल्य में वृद्धि: कंपनियों ने बढ़ती लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला — जिससे आउटपुट मुद्रास्फीति इनपुट लागत वृद्धि से आगे निकल गई।
यह बढ़ती महंगाई RBI की मौद्रिक नीति पर प्रभाव डाल सकती है, जो अब विकास और मूल्य स्थिरता के बीच संतुलन साधने में जुटी है।
मौद्रिक नीति का दृष्टिकोण
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RBI की अगस्त 4–6 बैठक में रेपो दर को 5.50% पर स्थिर रखने की संभावना है।
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हालांकि, यदि मुद्रास्फीति के आंकड़े नरम पड़ते हैं, तो अगली तिमाही में दर में कटौती संभव है (रायटर पोल के अनुसार)।
भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत
सेवा प्रदाताओं में जुलाई में व्यावसायिक आत्मविश्वास बढ़ा। उम्मीद जताई गई कि:
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मार्केटिंग अभियानों,
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तकनीकी नवाचारों, और
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ऑनलाइन उपस्थिति विस्तार
से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
यह आशावाद निवेश और उत्पादकता में सुधार को बढ़ावा दे सकता है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष:
PMI का 60.5 तक पहुँचना दर्शाता है कि भारत का सेवा क्षेत्र मजबूती से आगे बढ़ रहा है, लेकिन रोजगार और महंगाई जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए संतुलित नीति-निर्णयों की आवश्यकता है।