भारत की खुदरा मुद्रास्फीति, जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापा जाता है, खाद्य कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बाद जून में बढ़कर 4.81 प्रतिशत हो गई। 12 जुलाई 2023 को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खाद्य मुद्रास्फीति 4.49 फीसदी रही। भारत की रिटेल महंगाई दर में जून माह में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार मई में वार्षिक आधार पर 25 महीने के निचले स्तर 4.25 प्रतिशत पर पहुंचने के बाद जून में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.81 प्रतिशत हो गई है। उपभोक्ता-मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई लगातार चौथे महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 2-6 प्रतिशत के टॉलरेंस बैंड के अंदर बनी हुई है।
सांख्यिकी मंत्रालय ने जून माह के भारत की खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी कर दिए हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार खुदरा महंगाई दर बढ़कर 4.81 प्रतिशत हो गई है। यह इससे पहले मई महीने में 4.25 प्रतिशत पर दर्ज की गई थी। इस तरह जून में महंगाई दर में 0.56 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जो बढ़कर कुल 4.81 फीसदी के आंकड़े पर जा पहुंची है।
सरकार ने 12 जुलाई को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए। मई में खुदरा मुद्रास्फीति 4.31 प्रतिशत रही थी जबकि साल भर पहले जून, 2022 में यह सात प्रतिशत थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति 4.49 प्रतिशत रही जबकि मई में यह 2.96 प्रतिशत थी। सीपीआई में खाद्य उत्पादों का भारांक लगभग आधा होता है।
हालांकि, जून में खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि के बावजूद, यह लगातार चौथा महीना था जब सीपीआई-आधारित मुद्रास्फीति आरबीआई के टारगेट से नीचे रही, जो 2 से 6 प्रतिशत के बीच है। देश का औद्योगिक उत्पादन मई में 5.2 प्रतिशत बढ़ा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर मापा जाने वाला औद्योगिक उत्पादन पिछले साल मई में 19.7 प्रतिशत बढ़ा था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन इस साल मई में 5.7 प्रतिशत बढ़ा। आंकड़ों के अनुसार, खनन क्षेत्र के उत्पादन में आलोच्य महीने में 6.4 प्रतिशत और बिजली उत्पादन में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है। इसे राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया जाता है। सीपीआई भोजन, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि जैसी वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिन्हें भारतीय उपभोक्ता उपयोग के लिए खरीदते हैं।
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