घटती प्रजनन दर से बदलाव की रफ़्तार तेज़
भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) — यानी प्रति महिला औसत बच्चों की संख्या — वर्ष 2000 में 3.5 थी, जो आज घटकर 1.9 पर आ गई है। 2.1 की प्रतिस्थापन स्तर से नीचे पहुंच जाने का मतलब है कि आने वाले समय में देश की जनसंख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ने के बजाय धीरे-धीरे स्थिर हो जाएगी। यह प्रवृत्ति अब देश के विभिन्न क्षेत्रों और जनसंख्या समूहों में समान रूप से दिखाई देने लगी है, जो भारत में तेज़ी से बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य का संकेत देती है।
जनसंख्या स्थिरीकरण के पीछे मुख्य कारण
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महिला साक्षरता और शिक्षा
जैसे-जैसे अधिक महिलाएँ शिक्षित हो रही हैं और साक्षरता बढ़ रही है, उन्हें परिवार नियोजन पर अधिक नियंत्रण मिल रहा है। इससे विवाह में देरी हो रही है और परिवार छोटे हो रहे हैं। -
गर्भनिरोधक और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुँच
स्वास्थ्य ढाँचे के मज़बूत होने और आधुनिक गर्भनिरोधकों की बढ़ती उपलब्धता के कारण दंपति यह तय कर पा रहे हैं कि उन्हें कब और कितने बच्चे चाहिए। -
देरी से विवाह और करियर आकांक्षाएँ
विशेषकर महिलाओं में करियर विकास को प्राथमिकता देने का चलन बढ़ा है। इससे विवाह और गर्भधारण दोनों में देरी हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप कुल जन्मों की संख्या कम हो रही है। -
आर्थिक विकास और बदलती जीवनशैली
आर्थिक प्रगति के साथ जीवनशैली में बदलाव आया है। बच्चों के पालन-पोषण की आर्थिक और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों के प्रति बढ़ती जागरूकता जन्मदर में गिरावट का एक बड़ा कारण है।
जनसांख्यिकीय बदलाव के क्षेत्रीय उदाहरण
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केरल ने 1989 में ही प्रतिस्थापन-स्तर प्रजनन प्राप्त कर लिया था और अब इसकी TFR 1.5 है।
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पश्चिम बंगाल की TFR 1.3 पर पहुँच गई है — देश में सबसे कम दरों में से एक — जो तेज़ शहरी और ग्रामीण जनसांख्यिकीय परिवर्तन को दर्शाता है।
उभरती चुनौतियाँ
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बढ़ती वृद्ध जनसंख्या: कम जन्मदर और बढ़ती उम्र के कारण बुज़ुर्गों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा की माँग बढ़ेगी।
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कार्यबल का स्थायित्व: भविष्य में युवाओं की संख्या घटने से श्रमबल की कमी का जोखिम बढ़ सकता है।
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प्रवास और नगरीकरण: रोजगार की तलाश में युवाओं के शहरों की ओर पलायन से गाँवों में वृद्ध जनसंख्या बढ़ सकती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा।
मुख्य बिंदु
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भारत की TFR 2000 में 3.5 से घटकर 2025 में 1.9 हो गई है।
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अनुमानित जनसंख्या चरम (2080): 1.8–1.9 अरब।
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महिला साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाएँ और देरी से विवाह—प्रजनन दर में गिरावट के प्रमुख कारण।
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केरल और पश्चिम बंगाल देश में सबसे कम TFR वाले राज्य हैं।
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चुनौतियाँ: वृद्धजन देखभाल, कार्यबल की स्थिरता और पलायन असंतुलन।
भारत में जनसंख्या स्थिरीकरण विकास के नए अवसरों और एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन की ओर संकेत करता है।