संसद में राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने बताया कि भारत का समुद्री मत्स्य उत्पादन वर्ष 2023–24 में 44.95 लाख टन तक पहुँच गया है, जो 2020–21 के 34.76 लाख टन की तुलना में काफ़ी अधिक है। यह वृद्धि दर औसतन 8.9% प्रति वर्ष रही है। यह उपलब्धि सरकार के सतत मत्स्य विकास (Sustainable Fisheries Development) और जलवायु–अनुकूल रणनीतियों पर केंद्रित कार्यक्रमों जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और राष्ट्रीय नवाचार जलवायु लचीला कृषि (NICRA) का परिणाम है।
2020–21: 34.76 लाख टन
2023–24: 44.95 लाख टन
औसत वार्षिक वृद्धि दर: 8.9%
यह दर्शाता है कि अनुसंधान, अवसंरचना विकास और सरकारी नीतियों के कारण मत्स्य क्षेत्र मज़बूत व लचीला हुआ है।
आईसीएआर-सीएमएफआरआई (ICAR-CMFRI) आकलन 2022:
135 समुद्री मछली भंडारों (Fish Stocks) का अध्ययन
इनमें से 91.1% जैविक रूप से टिकाऊ (Biologically Sustainable) पाए गए
इसका अर्थ है कि वैज्ञानिक प्रबंधन और विनियमन सफलतापूर्वक लागू हो रहे हैं।
जिन राज्यों में अनुसंधान: असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, केरल
प्रमुख अनुसंधान क्षेत्र:
नदी बेसिन के जलवायु रुझानों का विश्लेषण
मछली प्रजातियों के वितरण में बदलाव
पकड़ की संरचना और उत्पादकता का अध्ययन
समुद्री क्षेत्र अनुसंधान:
जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग और कैच प्रोजेक्शन
महासागरीय अम्लीकरण (Ocean Acidification) और ब्लू कार्बन मूल्यांकन
समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का अनुकूल प्रबंधन
तटीय राज्यों में मछुआरों को जलवायु चुनौतियों से निपटने हेतु क्षमता निर्माण
कृत्रिम रीफ (Artificial Reefs) और सी रैंचिंग द्वारा पारिस्थितिक पुनर्स्थापना
100 जलवायु–अनुकूल तटीय मत्स्य ग्रामों का विकास
प्रति ग्राम निवेश: ₹2 करोड़ (पूर्ण केंद्रीय फंडिंग)
लक्ष्य: आर्थिक प्रगति और आपदा लचीलापन
58 मत्स्य बंदरगाह और लैंडिंग केंद्र
कुल निवेश: ₹3,281.31 करोड़
अतिरिक्त सहयोग:
कोल्ड स्टोरेज
खुदरा व थोक मछली बाजार
वैल्यू ऐडिशन यूनिट
27,000+ पोस्ट-हार्वेस्ट परिवहन इकाइयाँ (रेफ्रिजरेटेड ट्रक, आइस-बॉक्स से लैस मोटरसाइकिलें)
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