भारत के वस्तु एवं सेवा कर (GST) संग्रह अक्टूबर 2025 में बढ़कर ₹1.96 लाख करोड़ हो गए हैं। 1 नवंबर को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यह पिछले वर्ष की तुलना में 4.6% की वृद्धि को दर्शाता है — जो पिछले 52 महीनों में सबसे धीमी दर है, हालांकि राजस्व संग्रह पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। सितंबर माह में संग्रह ₹1.89 लाख करोड़ था, जिससे कर राजस्व में स्थिर बढ़ोतरी बनी रही।
लगातार दसवां महीना — ₹1.8 लाख करोड़ से ऊपर का संग्रह
अक्टूबर महीने में जीएसटी राजस्व का मजबूत प्रदर्शन जारी रहा, और कुल संग्रह लगातार दसवें महीने ₹1.8 लाख करोड़ से अधिक रहा। आखिरी बार मई 2025 में राजस्व ₹2 लाख करोड़ के पार गया था। यह प्रवृत्ति मजबूत उपभोग और बेहतर कर अनुपालन को दर्शाती है, भले ही आर्थिक वृद्धि की गति कुछ धीमी रही हो।
जीएसटी ढांचे में बदलाव से वृद्धि दर में सुस्ती
हालांकि संग्रह राशि में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन वृद्धि दर सितंबर के 9.1% से घटकर अक्टूबर में 4.6% रह गई। विश्लेषकों का कहना है कि यह सुस्ती हाल ही में किए गए जीएसटी ढांचे के पुनर्गठन का परिणाम है।
अगस्त 2025 में सरकार ने कर संरचना में बड़ा बदलाव करते हुए 12% और 28% की दरों को समाप्त कर दिया, और लगभग 90% वस्तुओं को निचली कर दरों में स्थानांतरित किया। इन सुधारों ने कर प्रणाली को सरल बनाया है, लेकिन राजस्व वृद्धि को अस्थायी रूप से धीमा कर दिया है।
राजस्व प्रदर्शन का विवरण
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शुद्ध जीएसटी संग्रह मामूली रूप से 0.6% बढ़कर ₹1.69 लाख करोड़ हुआ।
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घरेलू राजस्व पिछले वर्ष की तुलना में लगभग स्थिर रहा।
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सीमा शुल्क संग्रह (Customs Collections) में 2.5% की वृद्धि दर्ज हुई और यह ₹37,210 करोड़ पर पहुंच गया।
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रिफंड (Refunds) में उल्लेखनीय तेजी देखी गई —
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घरेलू स्तर पर 26.5% की वृद्धि,
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जबकि सीमा शुल्क में 55.3% की बढ़ोतरी हुई।
यह सुधार तेज़ दावे निपटान और सुधरे हुए कर प्रशासन की दिशा में प्रगति दर्शाता है।
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सरकार का दृष्टिकोण और आर्थिक प्रभाव
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) का अनुमान है कि हालिया जीएसटी दरों में कटौती उपभोग और निवेश को बढ़ावा देगी, जिससे आने वाले महीनों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।
इस सकारात्मक दृष्टिकोण के अनुरूप,
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RBI ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया है,
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जबकि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपना अनुमान 6.6% तक बढ़ाया है।
नीतिनिर्माताओं का मानना है कि स्थिर जीएसटी संग्रह और कर दरों का सरलीकरण वित्तीय संतुलन को बनाए रखने में मदद करेगा तथा दीर्घकालिक आर्थिक विकास को गति देगा।


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