भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2025 में घटकर 6.4% रहने का अनुमान है, जो 2024 में 6.6% थी। यह आंकड़ा मूडीज एनालिटिक्स की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक व्यापार तनाव, अमेरिका के नए टैरिफ, और कमजोर वैश्विक मांग भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र भी मंदी का सामना कर रहा है, जहां चीन की जीडीपी वृद्धि दर 2024 में 5% से घटकर 2025 में 4.2% रहने की संभावना है।
भारतीय जीडीपी में गिरावट के प्रमुख कारण
1. व्यापार तनाव और निर्यात पर असर
- अमेरिका के नए टैरिफ भारतीय निर्यात को कम प्रतिस्पर्धी बना सकते हैं।
- वैश्विक मांग कमजोर होने से भारतीय उत्पादों की मांग घट सकती है।
- निर्यात क्षेत्र की सुस्ती भारत की कुल आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
2. क्षेत्रीय आर्थिक मंदी का प्रभाव
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां धीमी हो रही हैं।
- चीन की जीडीपी में गिरावट आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार पैटर्न को प्रभावित कर सकती है।
- चीन और भारत के व्यापारिक संबंधों में सुस्ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई चुनौती बन सकती है।
3. मुद्रा और निवेश से जुड़ी चुनौतियां
- रुपये में गिरावट से आयात महंगा हो सकता है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
- विदेशी निवेश (FDI) में कमी आने से विनिर्माण और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की वृद्धि प्रभावित हो सकती है।
- मुद्रास्फीति की अस्थिरता उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को प्रभावित कर सकती है।
सरकार की रणनीति: मंदी से निपटने के उपाय
1. वित्तीय और मौद्रिक नीति सुधार
- मुद्रास्फीति नियंत्रण, रुपये की मजबूती, और विदेशी निवेश आकर्षित करने पर जोर।
- मौद्रिक नीतियों में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता।
- आर्थिक स्थिरता के लिए सरकारी खर्च और कर नीतियों में सुधार।
2. घरेलू मांग को बढ़ावा देने के लिए बजटीय समर्थन
- आगामी केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे, रोजगार सृजन, और आर्थिक प्रोत्साहन योजनाओं को प्राथमिकता।
- वित्तीय घाटे को जीडीपी के 4.5% से नीचे लाने का लक्ष्य।
3. निजी उपभोग और निवेश को प्रोत्साहन
- खुदरा, सेवा और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में मजबूत उपभोक्ता मांग बनी रहने की उम्मीद।
- भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की स्थिति
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था 2025 में केवल 2.8% की दर से बढ़ेगी।
- अमेरिका और चीन में मंदी का प्रभाव उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ सकता है।
- फिर भी, भारत की 6.4% जीडीपी वृद्धि दर कई विकसित देशों की तुलना में अधिक रहेगी।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और मध्यम वर्ग का विस्तार दीर्घकालिक वृद्धि में मदद करेगा।
भविष्य की संभावनाएं
- भारत ने 2024 में 6.6% जीडीपी वृद्धि दर्ज की थी, जो ग्रामीण मांग, औद्योगिक विस्तार, और सेवा क्षेत्र की मजबूती से प्रेरित थी।
- रोजगार सृजन, कौशल विकास, और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देकर उच्च वृद्धि दर बनाए रखना जरूरी।
- दीर्घकालिक वृद्धि के लिए श्रम उत्पादकता, निवेश प्रवाह, और नवाचार को समर्थन देने वाली नीतियां आवश्यक होंगी।