सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कहा कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में लगातार दूसरी तिमाही में गिरकर 4.4 प्रतिशत पर आ गई।
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तीसरी तिमाही (Q3) GDP वृद्धि:
4.4 प्रतिशत पर, नवीनतम तिमाही वृद्धि संख्या 2022-23 की दूसरी तिमाही में दर्ज की गई 6.3 प्रतिशत की वृद्धि से कम है, जो अप्रैल-जून 2022 में दर्ज की गई 13.2 प्रतिशत की वृद्धि के आधे से भी कम थी क्योंकि जीडीपी विकास दर को वर्ष के शुरुआती हिस्से में कम आधार से लाभ हुआ था।
वित्त वर्ष 2023-24 के जीडीपी ग्रोथ के आरबीआई के पूर्वानुमान:
दिसंबर में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2022 की अंतिम तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान जताया था। हालांकि उस समय केंद्रीय बैंक ने इस साल की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
लेकिन जनवरी की शुरुआत में जारी सांख्यिकी मंत्रालय के जीडीपी के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत की जीडीपी 2022-23 में 7 प्रतिशत बढ़ने वाली थी। सरकार द्वारा 28 फरवरी को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में इस साल के लिए भारत के पूरे साल के जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7 प्रतिशत बरकरार रखा गया है।
विनिर्माण: चिंता का एक कारण:
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर 2022-23 में घटकर तीन तिमाहियों के निचले स्तर 4.4 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र में 1.1 प्रतिशत की गिरावट, निजी उपभोग की मांग और सरकारी व्यय में कमजोरी है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र की रफ्तार सुस्त पड़ी है, लेकिन पर्याप्त उच्च आवृत्ति वाले संकेतक हैं जो काफी मजबूत विनिर्माण गतिविधियों को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा, ‘इनपुट लागत बढ़ने के कारण विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती आई है, लेकिन अगर आप पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) संकेतकों को देखें तो विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति अच्छी है और जनवरी में कोर सेक्टर का प्रदर्शन हमें बताता है कि चौथी तिमाही में हमारे पास काफी मजबूत विनिर्माण वृद्धि दर है।
इस वित्त वर्ष (2023-24) में 7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि:
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने जीडीपी आंकड़े जारी होने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”वैश्विक नरमी के बावजूद भारत 2022-23 में सात प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर हासिल करने की ओर अग्रसर है।
सीईए ने कहा, ‘वृद्धि की गति अक्टूबर-दिसंबर में जारी रही और यह आधार प्रभाव था जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही।
तीसरी तिमाही में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) वृद्धि दर तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत रही, जो जुलाई-सितंबर की अवधि में 5.5 प्रतिशत थी।
अक्टूबर-दिसंबर की अवधि के लिए खपत वृद्धि 2.1 प्रतिशत रही, जो जुलाई-सितंबर के 8.8 प्रतिशत से कम है। पूंजी निर्माण की वृद्धि दर भी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में घटकर 8.3 प्रतिशत रह गई, जो चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 9.7 प्रतिशत रही थी।
इस वित्तीय वर्ष (2023-24) के लिए वास्तविक और नाममात्र जीडीपी वृद्धि:
दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023 के लिए देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह अनुमान वही है जो पहले अग्रिम अनुमान में साझा किया गया था।
दूसरे अग्रिम अनुमान में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 15.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पहले अग्रिम अनुमान के 15.4 प्रतिशत से अधिक है। सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर को भी संशोधित कर 13.5 प्रतिशत से घटाकर 13.2 प्रतिशत कर दिया है।