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राजकोषीय घाटा 2023-24 में सुधरकर जीडीपी के 5.63 प्रतिशत पर

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सरकार का राजकोषीय घाटा बीते वित्त वर्ष में जीडीपी का 5.63 प्रतिशत रहा। यह केंद्रीय बजट में जताये गये 5.8 प्रतिशत के अनुमान से कुछ कम है। वास्तविक रूप से राजकोषीय घाटा यानी व्यय और राजस्व के बीच अंतर 16.53 लाख करोड़ रुपये रहा। सरकार ने एक फरवरी को पेश अंतरिम बजट में 2023-24 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा 17.34 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।

राजस्व और व्यय विवरण

वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटा 16.54 ट्रिलियन रुपये रहा, जबकि बजटीय लक्ष्य 17.86 ट्रिलियन रुपये था। वित्त वर्ष 2024 के लिए शुद्ध कर प्राप्तियां अनुमान से अधिक यानी 23.27 ट्रिलियन रुपये रहीं। कुल व्यय 44.43 ट्रिलियन रुपये रहा, जो बजटीय राशि का 99% है।

राजकोषीय लक्ष्य और अपेक्षाएँ

केंद्र ने वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 5.1% या ₹16.85 ट्रिलियन निर्धारित किया है, जिसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद का 4.5% राजकोषीय घाटा प्राप्त करना है। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में मजबूत कर प्राप्तियों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा बड़े लाभांश भुगतान के कारण राजकोषीय गतिशीलता अनुकूल रहेगी।

RBI लाभांश प्रभाव

RBI बोर्ड ने वित्त वर्ष 24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में ₹2.11 ट्रिलियन ($25.35 बिलियन) हस्तांतरित करने को मंजूरी दी। वित्त वर्ष 25 के अंतरिम बजट में केंद्रीय बैंक, सरकारी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से ₹1.02 ट्रिलियन लाभांश का बजट रखा गया था।

कर संग्रह में दक्षता

कुल व्यय ₹41.9 ट्रिलियन से बढ़कर ₹44.4 ट्रिलियन हो गया, जो लगभग 6% की वृद्धि है, जबकि राजकोषीय घाटा लगभग 5% कम हुआ। इस सुधार का श्रेय केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड तथा केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की कार्यकुशलता तथा फर्जी लेनदेन का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग को दिया जाता है। वित्त वर्ष 24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह साल-दर-साल 17.7% बढ़कर ₹19.58 ट्रिलियन हो गया, जो संशोधित अनुमान से ₹13,000 करोड़ और बजट अनुमान से ₹1.35 ट्रिलियन अधिक है। वित्त वर्ष 24 के लिए जीएसटी संग्रह 11.7% बढ़कर 20.14 ट्रिलियन रुपये हो गया।

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FAQs

राजकोषीय घाटा क्या है?

सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। यह सरकार द्वारा आवश्यक कुल उधारी का एक संकेत है। कुल राजस्व की गणना करते समय उधार को शामिल नहीं किया जाता है।

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