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विदेशी मुद्रा भंडार 1.68 अरब डॉलर बढ़कर 688.94 अरब डॉलर हुआ

भारत की बाह्य क्षेत्र (External Sector) की स्थिति और मज़बूत हुई है, क्योंकि 12 दिसंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 1.68 अरब डॉलर बढ़कर 688.94 अरब डॉलर हो गया। यह जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी साप्ताहिक आँकड़ों में दी गई है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण स्वर्ण भंडार में तेज़ बढ़ोतरी और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में हल्की वृद्धि रही।

RBI के ताज़ा आँकड़े

  • RBI के अनुसार, रिपोर्टिंग सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार
  • 687.26 अरब डॉलर से बढ़कर 688.94 अरब डॉलर हो गया।
  • इससे पहले, 5 दिसंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में भंडार में लगभग 1.03 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी।

यह लगातार बढ़ता रुझान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, भू-राजनीतिक तनावों और पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत के बाह्य खातों में स्थिरता को दर्शाता है।

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCA)

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ, जो कुल भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा हैं,

  • 0.91 अरब डॉलर बढ़कर 557.79 अरब डॉलर हो गईं।
  • FCA में अमेरिकी डॉलर, यूरो, पाउंड स्टर्लिंग और जापानी येन जैसी प्रमुख मुद्राओं में रखी गई परिसंपत्तियाँ शामिल होती हैं।
  • गैर-अमेरिकी मुद्राओं की डॉलर के मुकाबले विनिमय दर में बदलाव से FCA का मूल्य प्रभावित होता है।

स्वर्ण भंडार में तेज़ वृद्धि

  • भारत का स्वर्ण भंडार 0.76 अरब डॉलर बढ़कर 107.74 अरब डॉलर हो गया।
  • यह वृद्धि RBI की भंडार विविधीकरण रणनीति को दर्शाती है।
  • वैश्विक अनिश्चितता के समय सोना एक सुरक्षित निवेश (Safe Haven Asset) माना जाता है।
  • सोने में निवेश बढ़ाकर RBI विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम कर रहा है और दीर्घकालिक सुरक्षा मज़बूत कर रहा है।

SDR और IMF में स्थिति

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ भारत के विशेष आहरण अधिकार (SDR) में मामूली वृद्धि होकर यह 18.74 अरब डॉलर हो गया।
  • IMF में भारत की रिज़र्व स्थिति भी हल्की बढ़कर 4.69 अरब डॉलर हो गई।
  • भले ही यह राशि छोटी हो, लेकिन ये घटक वैश्विक स्तर पर भारत की तरलता सुरक्षा को मज़बूत करते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या है?

विदेशी मुद्रा भंडार वे परिसंपत्तियाँ हैं जिन्हें किसी देश का केंद्रीय बैंक रखता है, जिनका उपयोग किया जाता है—

  • घरेलू मुद्रा को स्थिर रखने के लिए
  • बाहरी भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए
  • अर्थव्यवस्था में विश्वास बनाए रखने के लिए
  • वैश्विक वित्तीय बाज़ारों की अस्थिरता से निपटने के लिए

भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल हैं—

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ
  • स्वर्ण भंडार
  • SDR
  • IMF में रिज़र्व स्थिति

मुख्य बिंदु 

  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.68 अरब डॉलर बढ़कर 688.94 अरब डॉलर हुआ।
  • वृद्धि का मुख्य कारण स्वर्ण भंडार और FCA में इज़ाफ़ा रहा।
  • स्वर्ण भंडार 107.74 अरब डॉलर तक पहुँचा।
  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ बढ़कर 557.79 अरब डॉलर हुईं।
  • SDR और IMF में रिज़र्व स्थिति में मामूली वृद्धि।
  • मज़बूत विदेशी मुद्रा भंडार से आर्थिक स्थिरता और निवेशक विश्वास बढ़ता है।
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