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अक्टूबर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.6 अरब डॉलर घटा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर 2025 तक भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में $5.6 अरब की तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे कुल भंडार घटकर $689.73 अरब रह गया। यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब भंडार में गिरावट आई है। इस गिरावट ने वैश्विक बाजार के दबाव, मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव, और सोने की कीमतों में सुधार पर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

गिरावट का विस्तृत विवरण 

1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (Foreign Currency Assets – FCAs)

  • गिरावट: $1.9 अरब

  • नया स्तर: $564.59 अरब

  • FCAs विदेशी मुद्राओं (जैसे यूरो, पाउंड, येन आदि) में रखी गई संपत्तियाँ हैं।

  • इनमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इन मुद्राओं के मूल्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी शामिल होता है।

2. स्वर्ण भंडार (Gold Reserves)

  • गिरावट: $3.8 अरब

  • नया स्तर: $101.72 अरब

  • सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेज गिरावट के चलते यह प्रमुख कारण रहा।

  • अक्टूबर की शुरुआत में भारत के स्वर्ण भंडार ने पहली बार $100 अरब का आँकड़ा पार किया था, लेकिन वैश्विक सुधार ने इसे नीचे खींच लिया।

3. विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights – SDRs)

  • गिरावट: $19 मिलियन

  • नया स्तर: $18.64 अरब

  • SDRs, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा बनाए गए भंडार परिसंपत्तियाँ हैं, जो पाँच प्रमुख मुद्राओं की टोकरी पर आधारित होती हैं।

4. IMF में भंडार स्थिति (IMF Reserve Position)

  • वृद्धि: $16.4 मिलियन

  • नया स्तर: $4.77 अरब

  • यह भारत की वित्तीय विश्वसनीयता और बहुपक्षीय ढाँचों में मजबूत स्थिति को दर्शाता है।

विदेशी मुद्रा भंडार क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है?

विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई संपत्तियाँ हैं, जिनमें — विदेशी मुद्राएँ, सोना, SDRs, और IMF में आरक्षित स्थिति शामिल होती हैं।

इनका उपयोग कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

  1. रुपये की स्थिरता:
    RBI विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रुपये में अत्यधिक अस्थिरता को रोकता है।

  2. आयात सुरक्षा (Import Cover):
    उच्च भंडार सुनिश्चित करते हैं कि भारत आवश्यक आयात (जैसे कच्चा तेल, मशीनरी आदि) का भुगतान आसानी से कर सके।

  3. निवेशक विश्वास (Investor Confidence):
    मजबूत भंडार विदेशी निवेशकों और क्रेडिट एजेंसियों को आर्थिक स्थिरता का संकेत देता है।

  4. ऋण प्रबंधन (External Debt Management):
    पर्याप्त भंडार बाहरी झटकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और ऋण दायित्वों को पूरा करने में मदद करते हैं।

RBI का मुद्रा हस्तक्षेप पर रुख

RBI ने स्पष्ट किया है कि उसका हस्तक्षेप किसी विशेष विनिमय दर को लक्ष्य करने के लिए नहीं होता, बल्कि बाजार में स्थिरता बनाए रखने के लिए होता है।
इसका उद्देश्य विदेशी निवेशकों की निकासी या वैश्विक वित्तीय दबाव के समय रुपये में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकना है।

भंडार में गिरावट के निहितार्थ 

हालाँकि $5.6 अरब की गिरावट दिखने में बड़ी है, लेकिन भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी वैश्विक स्तर पर शीर्ष देशों में बना हुआ है।

मुख्य टिप्पणियाँ (Key Observations):

  • स्वर्ण भंडार अंतरराष्ट्रीय कीमतों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है।

  • विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में परिवर्तन डॉलर की मजबूती या अन्य मुद्राओं के मूल्यांकन में बदलाव से प्रभावित होते हैं।

  • RBI की सक्रिय नीतियाँ बाहरी झटकों को संतुलित करने और निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने में मदद करती हैं।

मुख्य तथ्य 

घटक परिवर्तन नया स्तर (अक्टूबर 31, 2025)
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCAs) -$1.9 अरब $564.59 अरब
स्वर्ण भंडार -$3.8 अरब $101.72 अरब
विशेष आहरण अधिकार (SDRs) -$19 मिलियन $18.64 अरब
IMF आरक्षित स्थिति +$16.4 मिलियन $4.77 अरब
कुल विदेशी मुद्रा भंडार -$5.6 अरब $689.73 अरब
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