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वार्षिक लक्ष्य का 39.3 प्रतिशत रहा पहले छह महीनों में राजकोषीय घाटा

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केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पूरे वर्ष के लक्ष्य का 39.3 प्रतिशत पर पहुंच गया है। यह एक साल पहले की अवधि के 37.3 प्रतिशत के मुकाबले थोड़ा अधिक है। लेखा महानियंत्रक (CGA) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर, 2023 के अंत में राजकोषीय घाटा 7.02 लाख करोड़ रुपये रहा।

आपको बता दें कि राजकोषीय घाटा व्यय और राजस्व के बीच का अंतर है। केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत तक लाने का अनुमान लगाया है। 2022-23 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.4 प्रतिशत था, जबकि पहले अनुमान 6.71 प्रतिशत का लगाया गया था।

 

वार्षिक लक्ष्य का 49.8 प्रतिशत

कर राजस्व 11.60 लाख करोड़ रुपये रहा और यह वार्षिक लक्ष्य का 49.8 प्रतिशत था। पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान शुद्ध कर संग्रह उस वर्ष के वार्षिक बजट अनुमान (बीई) का 52.3 प्रतिशत था। केंद्र का कुल व्यय 21.19 लाख करोड़ रुपये या 2023-24 के बजट अनुमान का 47.1 प्रतिशत था, जो 2022-23 के बजट अनुमान के 46.2 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।

 

कोर सेक्टर में बढ़ोतरी

इस साल अगस्त में कोर सेक्टर में पिछले साल अगस्त की तुलना में 12.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी तो इस साल के जून व जुलाई में कोर सेक्टर में क्रमश: 8.4 व 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। कोर सेक्टर में कोयला, कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, खाद, स्टील, सीमेंट व बिजली जैसे आठ प्रमुख क्षेत्र शामिल है।

 

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FAQs

राजकोषीय घाटा का क्या अर्थ है?

राजकोषीय घाटे को अपेक्षाकृत सरकार के घाटे के अधिक व्यापक संकेतक के रूप में माना जाता है। यह लिए गए ऋणों से इतर राजस्व व्यय और पूंजी व्यय के जोड़ में से सभी राजस्व प्राप्तियों और पूंजी प्राप्तियों को घटाकर प्राप्त हुई राशि है।