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राजकोषीय घाटा पहले चार माह में बजट अनुमान के 33.9 प्रतिशत पर

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चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले चार माह में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 33.9 प्रतिशत पर पहुंच गया है। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से लेकर जुलाई के अंत तक राजकोषीय घाटा वास्तविक संदर्भ में 6.06 लाख करोड़ रुपये था। पिछले साल की समान अवधि में राजकोषीय घाटा कुल बजट अनुमान का 20.5 प्रतिशत था।

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सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 प्रतिशत तक लाने का अनुमान लगाया था। पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहा था, जबकि शुरुआती अनुमान 6.71 प्रतिशत का था। सरकार की आय और व्यय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। यह सरकार को आवश्यक कुल उधारी का संकेत है।

 

राजस्व-व्यय आंकड़े का ब्योरा

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय आंकड़े का ब्योरा देते हुए लेखा महानियंत्रक ने कहा कि इस अवधि में शुद्ध कर राजस्व 5.83 लाख करोड़ रुपये रहा जो समूचे वित्त वर्ष के बजट अनुमान का 25 प्रतिशत था। अप्रैल-जुलाई, 2022 के अंत में शुद्ध कर राजस्व संग्रह 34.4 प्रतिशत था।

 

बजट अनुमान का 30.7 प्रतिशत

अप्रैल-जुलाई, 2023 के दौरान केंद्र सरकार का कुल खर्च 13.81 लाख करोड़ रुपये रहा जो बजट अनुमान का 30.7 प्रतिशत है। एक साल पहले की समान अवधि में व्यय बजट अनुमान का 28.6 प्रतिशत रहा था। सरकार के कुल व्यय में से 10.64 लाख करोड़ रुपये राजस्व खाते और 3.17 लाख करोड़ रुपये पूंजी खाते से संबंधित थे।

 

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FAQs

राजकोषीय घाटा और राजस्व घाटा में क्या अंतर है?

सामान्य बोलचाल की भाषा में किसी वित्तीय वर्ष में कुल सरकारी आय और कुल सरकारी व्यय का अंतर राजस्व घाटा कहलाता है, जबकि किसी वित्तीय वर्ष के राजस्व घाटे और सरकार द्वारा लिये गए ऋण पर ब्याज तथा अन्य देयताओं के भुगतान का योग राजकोषीय घाटा कहलाता है।