भारतीय वायुसेना का पहला सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट औपचारिक तौर पर वायुसेना में शामिल कर लिया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर एक समारोह में ये विमान एयरफोर्स को सौंपा। इसके साथ ही राजनाथ सिंह भारत ड्रोन शक्ति 2023 का भी उद्घाटन करने वाले हैं।
पहला प्रोग्राम सी-295 को औपचारिक रूप से एयरफोर्स में शामिल करने का था। ये विमान स्पेन से 6 हजार 854 किलोमीटर की दूरी तय करके 20 सितंबर को ही वडोदरा में पहुंचा। इस एयरक्राफ्ट की सबसे खास बात ये है कि एयरक्राफ्ट एक किलोमीटर से भी छोटे रनवे से उड़ान भर सकता है। जबकि लैंडिग के लिए तो इसे केवल 420 मीटर का रनवे ही चाहिए। इसका मतलब ये है कि अभी दुर्गम पहाड़ी इलाकों और आयलैंड पर भी एयरफोर्स सीधे सैनिकों को उतार पाएगी।
ये विमान आत्मनिर्भर भारत की पहचान बनने जा रहा है। अभी तक इस विमान को कंपनी एयरबस बनाती है लेकिन अब इसे भारत में ही बनाया जाएगा। सरकार ने दो साल पहले 21 हजार 935 करोड़ रुपए में 56 सी-295 एयरक्राफ्ट खरीदने का समझौता एयरबस स्पेस एंड डिफेंस कंपनी के साथ किया था। इनमें से 16 विमान स्पेन से आने हैं, जबकि 17वां विमान खुद देश में बनाया जाएगा। इस विमान को भारत में बनाने के लिए एयरबस और टाटा के बीच समझौता हो चुका है।
पिछले साल 31 अक्टूबर को अपने वडोदरा दौरे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। वडोदरा में एयरबस के साथ साझेदारी में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने जो सेटअप तैयार किया है, उसमें 40 विमान बनाए जाएंगे। जबकि एयरबस स्पेन में अपने सेटअप से 16 तैयार विमान भारत को सप्लाई करेगा। उम्मीद की जा रही है कि साल 2026 तक सभी 56 एयरक्राफ्ट वायुसेना को मिल जाएंगे। जानकारों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से भारत की एविएशेन इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आने वाला है।
सी-295 विमान का शामिल होना भारतीय वायुसेना के अपने बेड़े को आधुनिक बनाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। पुराने एवरो-748 विमान, जिन्होंने छह दशकों से अधिक समय तक वायु सेना को सेवा दी है, अब समकालीन परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिस्थापित किए जा रहे हैं।
भारतीय वायु सेना अधिनियम 1932 को उसी वर्ष 8 अक्टूबर से लागु किया गया जिसके तहत रॉयल एयरफोर्स के वर्दी, बैज और प्रतीक चिह्न अपनाए गए।
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