भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि भारत का बाह्य यानी विदेशी ऋण मार्च 2025 के अंत तक 10 प्रतिशत बढ़कर 736.3 अरब डॉलर हो गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 668.8 अरब डॉलर था। जीडीपी के प्रतिशत के रूप में बाह्य ऋण एक साल पहले के 18.5 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 के अंत तक 19.1 प्रतिशत हो गया। आरबीआई ने कहा कि समीक्षाधीन वित्त वर्ष में मुद्रा बाजारों में कुछ उतार-चढ़ाव देखा गया, और रुपये तथा अन्य मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के मूल्य में वृद्धि के कारण ‘मूल्यांकन प्रभाव’ 5.3 अरब डॉलर रहा।
समाचार में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2025 के अंत तक भारत का बाह्य ऋण $736.3 बिलियन तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष ($668.8 बिलियन) की तुलना में $67.5 बिलियन (10%) की वृद्धि को दर्शाता है। इस वृद्धि के साथ बाह्य ऋण-से-GDP अनुपात भी FY24 के 18.5% से बढ़कर FY25 में 19.1% हो गया है, जो वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों, ऋण की बढ़ती मांग और मुद्रा विनिमय दरों का असर दिखाता है।
प्रमुख आँकड़े
कुल बाह्य ऋण (मार्च 2025):
$736.3 बिलियन
पिछला वर्ष (मार्च 2024):
$668.8 बिलियन
वार्षिक वृद्धि:
$67.5 बिलियन (10%)
बाह्य ऋण-से-GDP अनुपात:
FY24: 18.5% → FY25: 19.1%
मूल्यांकन प्रभाव (Valuation Effect):
अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण $5.3 बिलियन का मूल्य प्रभाव
मूल्य प्रभाव को छोड़कर, वास्तविक ऋण वृद्धि होती $72.9 बिलियन
उधारकर्ता के अनुसार ऋण वितरण
-
गैर-वित्तीय निगम: $261.7 बिलियन
-
सरकार: $168.4 बिलियन
-
जमा-स्वीकार करने वाले निगम (बिना RBI): $202.1 बिलियन
ऋण की परिपक्वता संरचना
दीर्घकालिक ऋण (> 1 वर्ष):
- $601.9 बिलियन (वार्षिक वृद्धि: $60.6 बिलियन)
अल्पकालिक ऋण (≤ 1 वर्ष):
- कुल ऋण में हिस्सेदारी: 19.1% → 18.3%
- लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार के प्रतिशत में वृद्धि: 19.7% → 20.1%
मुद्रा के अनुसार ऋण
-
अमेरिकी डॉलर: 54.2%
-
भारतीय रुपया: 31.1%
-
जापानी येन: 6.2%
-
स्पेशल ड्राइंग राइट्स: 4.6%
-
यूरो: 3.2%
ऋण के साधनों के अनुसार वितरण
-
ऋण: 34%
-
मुद्रा एवं जमा: 22.8%
-
व्यापारिक ऋण एवं अग्रिम: 17.8%
-
ऋण प्रतिभूतियाँ: 17.7%