डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली (AEPS) से जुड़ी सेवाओं पर सख्त निगरानी के निर्देश जारी किए हैं। अब अंगूठा लगाकर बैंक से पैसे निकालने वाली प्रक्रिया में कड़े नियम लागू होंगे। RBI ने बैंकों से कहा है कि AEPS सेवाएं देने वाले ऑपरेटरों को सिस्टम में जोड़ने से पहले उनकी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल की जाए, ताकि फ्रॉड और पहचान की चोरी जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
समाचार में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) के माध्यम से हो रही धोखाधड़ी गतिविधियों में वृद्धि के मद्देनज़र नए सख्त परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये नियम 1 जनवरी 2026 से प्रभावी होंगे और सभी संबंधित पक्षों को तीन माह के भीतर इन्हें लागू करना होगा। यह कदम ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंकिंग लेन-देन की सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
उद्देश्य और लक्ष्य
- AePS लेन-देन की सुरक्षा और विश्वसनीयता को मज़बूत करना
- पहचान की चोरी, डेटा दुरुपयोग और धोखाधड़ी को रोकना
- बैंक मित्रों और बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स (BCs) की जवाबदेही बढ़ाना
- बैंकों और ऑपरेटरों के बीच नियंत्रण और समन्वय सुनिश्चित करना
प्रमुख दिशानिर्देश
KYC और ड्यू डिलिजेंस
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ऑनबोर्डिंग के समय अधिग्रहणकर्ता बैंकों को पूर्ण KYC करना होगा (RBI के KYC मास्टर दिशा-निर्देश, 2016 के अनुसार)।
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6 महीने से निष्क्रिय ऑपरेटरों को फिर से सक्रिय करने से पहले KYC पुन: सत्यापन अनिवार्य होगा।
“एक ऑपरेटर–एक बैंक” नियम
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प्रत्येक AePS टचपॉइंट ऑपरेटर केवल एक अधिग्रहणकर्ता बैंक के साथ ही कार्य कर सकेगा।
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इस नियम के प्रवर्तन और निगरानी की जिम्मेदारी NPCI और बैंकों की होगी।
ऑपरेटर गतिविधि निगरानी
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बैंक को ऑपरेटर के लेन-देन की निरंतर निगरानी करनी होगी।
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ऑपरेटर को जोखिम प्रोफ़ाइल के आधार पर लेन-देन सीमा निर्धारित की जाएगी।
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लेन-देन का स्थान, पंजीकृत पते से मेल खाना अनिवार्य होगा।
रीयल-टाइम अनियमितता पहचान प्रणाली
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स्थान विसंगति, संदिग्ध गतिविधियाँ, या अनधिकृत पहुँच की तत्काल पहचान की व्यवस्था की जाएगी।
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यह व्यवस्था चोरी या क्लोन किए गए आधार डेटा से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी।
अनिवार्य अनुपालन
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सभी संबंधित इकाइयों को NPCI के AePS दिशानिर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा।
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यह भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत आता है।
पृष्ठभूमि
AePS प्रणाली के तहत आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग बैलेंस पूछताछ, नकद निकासी, आदि जैसे बुनियादी बैंकिंग लेन-देन कर सकते हैं। हालांकि, ढीली KYC प्रक्रियाएँ और एकाधिक बैंक ऑपरेटर सेटअप के चलते धोखाधड़ी की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही थी।