वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, पहले छमाही में आर्थिक सुस्ती के बावजूद, वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.5% तक पहुंचने की संभावना है। रिपोर्ट में इस धीमी गति का मुख्य कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सख्त मौद्रिक नीति और कमजोर मांग को बताया गया है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितताएँ अर्थव्यवस्था पर दबाव डाल रही हैं, घरेलू कारक जैसे कृषि गतिविधियां और औद्योगिक लाभ दूसरी छमाही में वृद्धि को प्रेरित करेंगे।
| क्यों चर्चा में? | विवरण |
| FY25 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान | भारतीय अर्थव्यवस्था के FY25 में 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है। जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि 5.4% रही। आर्थिक मंदी का कारण RBI की सख्त मौद्रिक नीति और वैश्विक अनिश्चितताएँ। |
| RBI की मौद्रिक नीति | RBI ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए 11 लगातार बैठकों में प्रमुख ब्याज दरें अपरिवर्तित रखी, जिससे मंदी में योगदान हुआ। |
| ग्रामीण और शहरी मांग | ग्रामीण मांग दोपहिया, तीनपहिया और ट्रैक्टर की बिक्री में वृद्धि से मजबूत बनी हुई है। शहरी मांग में यात्री वाहन बिक्री और हवाई यातायात की वृद्धि के साथ सुधार के संकेत। |
| प्रमुख आर्थिक क्षेत्र | कृषि वृद्धि को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि और अनुकूल मानसून परिस्थितियों का समर्थन। औद्योगिक गतिविधि सरकारी पूंजी व्यय और सीमेंट, इस्पात, खनन, और बिजली जैसे क्षेत्रों में मांग से बढ़ेगी। |
| मुद्रास्फीति और दबाव | खाद्य और कोर मुद्रास्फीति में कमी से मुद्रास्फीति नरम हुई। FY25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.8% पर अनुमानित, Q3 में 5.7% और Q4 में 4.5% रहने की संभावना। |
| H2FY25 में GDP वृद्धि | FY25 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार और औद्योगिक रिकवरी से वृद्धि होने की उम्मीद। |
| वैश्विक जोखिम | भारत वैश्विक व्यापार युद्ध, मजबूत अमेरिकी डॉलर, और उच्च वैश्विक तेल व खाद्य तेल की कीमतों से जुड़े जोखिमों का सामना कर रहा है, जिससे उभरते बाजार और भारत की आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। |
| वित्त मंत्रालय की आर्थिक रिपोर्ट | नवंबर की मासिक रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर पहली छमाही के बावजूद, घरेलू आर्थिक बुनियादों के कारण भारत की अर्थव्यवस्था दूसरी छमाही में सुधार करेगी। हालांकि, वैश्विक जोखिम बरकरार हैं। |
| प्रमुख आर्थिक नीति उपाय | RBI द्वारा नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% करने से ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद। सरकार का पूंजीगत व्यय प्रमुख क्षेत्रों को समर्थन देगा। |
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