मुख्य आर्थिक सलाहकार (Chief Economic Advisor (CEA)) डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन के अनुसार, मज़बूत घरेलू आर्थिक गतिविधियों और तेल आयात में वृद्धि के चलते वित्त वर्ष 23 के लिए भारत का चालू खाता घाटा, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3-3.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
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इस विकास के बारे में और अधिक ज़ानकारी:
वर्ष 2020-21 में 0.9 प्रतिशत के अधिशेष के मुकाबले 2021-22 में भारत के चालू खाता घाटे को सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत दर्ज़ किया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि चालू खाता घाटा पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2022) में मामूली रूप से बढ़ जाएगा, लेकिन दूसरी छमाही (अक्टूबर 2022-मार्च 2023) में कम हो जाएगा। कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 23 के लिए चालू खाता घाटा, जीडीपी के 3 प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार का कहना:
मुख्य आर्थिक सलाहकार नागेश्वरन ने कहा कि भारत का वार्षिक आयात कवर काफी सहज है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund (IMF)) भारत के बाहरी क्षेत्र को जोखिम वाले क्षेत्र में नहीं मानता है।
आरबीआई का आकलन:
आरबीआई के आकलन (अर्थव्यवस्था की स्थिति की रिपोर्ट में) के अनुसार, 4 नवंबर को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 530.0 बिलियन डॉलर था, जो 2022-23 के लिए अनुमानित 8.6 महीने के आयात को कवर करता है। विदेशी मुद्रा भंडार का आयात कवर (भुगतान संतुलन के आधार पर) जून 2022 के अंत में घटकर 10.4 महीने रह गया, जो मार्च 2022 के अंत में 11.8 महीने था।
वर्तमान आर्थिक स्थिति के बारे में:
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि, “2022-23 में 6.5-7.5% के बीच की वास्तविक जीडीपी विकास दर वर्तमान समय में उच्च तेल की कीमतों से उभरने वाली ताजा अनिश्चितताओं के बावजूद उचित (Reasonable) है।
नागेश्वरन ने कहा कि, “जब भारत को उच्च खुदरा मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ा, तो यह कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में मध्यम देखी गई, जो 2% की मुद्रास्फीति को लक्षित करती है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था 8-10% के करीब है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण कमोडिटी की कीमतों को उलझाकर, इस वर्ष प्रमुख ब्याज दरों में भारी वृद्धि करके मुद्रास्फीति को भयानक रूप से लक्षित किया है, जिसमें RBI भी शामिल है। इससे उभरते बाजारों की मुद्राएं और व्यापार संतुलन बाधित हुआ है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का मानना है कि देश की FY23 जीडीपी वृद्धि भारतीय रिजर्व बैंक के 7.2% के पूर्वानुमान और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 7.4% के पूर्वानुमान के बीच होगी।