भारत के कोयला आयात में वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही (अप्रैल–जून 2025) के दौरान 1.5% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। इस अवधि में आयात बढ़कर 76.40 मिलियन टन (एमटी) हो गया, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 75.26 एमटी था। यह बढ़ोतरी सरकार द्वारा घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर देने के बावजूद हुई, जिसका मुख्य कारण मौसमी और आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियाँ रहीं, विशेषकर मानसून के महीनों में।
आयात का विवरण (अप्रैल–जून 2025)
मासिक और खंडवार रुझान
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जून 2025: कोयला आयात बढ़कर 23.91 एमटी हुआ, जो जून 2024 में 22.97 एमटी था।
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ग़ैर-धातुकर्म (Non-Coking) कोयला: Q1 FY26 में 49.08 एमटी, जो Q1 FY25 के 49.12 एमटी के लगभग बराबर रहा।
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धातुकर्म (Coking) कोयला: Q1 FY26 में बढ़कर 16.37 एमटी हो गया, जबकि Q1 FY25 में यह 15.45 एमटी था।
जून 2025 में खंडवार आँकड़े
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ग़ैर-धातुकर्म कोयला: 14.85 एमटी (जून 2024: 14.19 एमटी)
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धातुकर्म कोयला: 5.78 एमटी (जून 2024: 5.45 एमटी)
(ये आँकड़े mjunction सर्विसेज लिमिटेड द्वारा संकलित किए गए, जो टाटा स्टील और सेल की संयुक्त ई-कॉमर्स इकाई है।)
घरेलू उत्पादन की चुनौतियाँ
कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) का प्रदर्शन
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सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड, जो देश की कुल कोयला आपूर्ति का 80% से अधिक करती है, ने जून 2025 में 8.5% की गिरावट दर्ज की।
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उत्पादन घटकर 57.8 एमटी रहा, जबकि जून 2024 में यह 63.1 एमटी था।
मानसून का प्रभाव
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कंपनी ने कोई विशेष कारण नहीं बताया, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार मानसून से खनन कार्य प्रभावित हुआ, जिससे उत्पादन और बिजलीघरों तक आपूर्ति धीमी पड़ी।
सरकारी प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय दृष्टिकोण
कोयला उपलब्धता का आश्वासन
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कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने आश्वासन दिया कि मानसून के दौरान देश में कोयले की कोई कमी नहीं होगी और सरकार बिजली एवं औद्योगिक क्षेत्रों की माँग पूरी करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
दीर्घकालिक नीति दिशा
कोयला मंत्रालय ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई:
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सतत कोयला उत्पादन सुनिश्चित करना
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आयात पर निर्भरता कम करना
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घरेलू आपूर्ति मज़बूत करना
इसके लिए सरकार लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर, मैकेनाइज्ड निकासी (evacuation) और नई खदानों में निवेश कर रही है ताकि आपूर्ति-पक्ष की क्षमता को सुदृढ़ बनाया जा सके।


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