भारत में वायु गुणवत्ता रैंकिंग में गुजरात के सूरत शहर को शीर्ष स्थान दिया गया है। वहीं, मध्यप्रदेश के शहर जबलपुर को दूसरा और उत्तर प्रदेश के आगरा को तीसरा स्थान मिला है। इन शहरों ने वायु प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण सुधार किया है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जयपुर में ‘नीले आसमान के लिए स्वच्छ वायु के अंतरराष्ट्रीय दिवस’ के उपलक्ष्य में एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 के दौरान ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर’ पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके तहत 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में सूरत ने शीर्ष, जबलपुर ने दूसरा और आगरा ने तीसरा स्थान हासिल किया।
तीन लाख से 10 लाख के बीच आबादी वाले शहर
तीन लाख से 10 लाख के बीच आबादी वाले शहरों में फिरोजाबाद (यूपी), अमरावती (महाराष्ट्र) और झांसी (यूपी) को सर्वश्रेष्ठ माना गया। वहीं, तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों में रायबरेली (यूपी), नलगोंडा (तेलंगाना) और नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश) शीर्ष पर रहे।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम
- ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण’ राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत कवर किए गए शहरों में शहरी कार्य योजना और वायु गुणवत्ता के तहत अनुमोदित गतिविधियों के कार्यान्वयन के आधार पर शहरों को रैंक करने के लिए मंत्रालय की एक पहल है।
- इन शहरों को वायु प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार के लिए सम्मानित किया गया। मुख्य गतिविधियों में सड़कों को पक्का करना, मैकेनिकल स्वीपिंग को बढ़ावा देना, पुराने कचरे का बायोरेमेडिएशन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, डंपसाइटों से पुनः प्राप्त भूमि को हरित स्थानों में परिवर्तित करना, ग्रीनबेल्ट विकास, बुद्धिमान यातायात प्रबंधन प्रणाली और मियावाकी वनीकरण शामिल हैं।
- भारत ने 2017 को आधार वर्ष के रूप में उपयोग करते हुए 2024 तक कण प्रदूषण को 20-30 प्रतिशत तक कम करने के लक्ष्य के साथ 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया। बाद में 2019-20 को आधार वर्ष के रूप में उपयोग करते हुए लक्ष्य को 2026 तक 40 प्रतिशत की कटौती के लिए संशोधित किया गया।
- कार्यक्रम में वर्तमान में केवल 131 गैर-प्राप्ति शहर शामिल हैं, वे जो 2011 और 2015 के बीच राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने में लगातार विफल रहे।
133 शहरों का ऐसे हुआ सर्वे
इस सर्वेक्षण के लिए सरकार ने 133 शहरों में वायु की गुणवत्ता को परखा है। इसमें बायोमास और नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाना, सड़क की धूल, निर्माण और तोड़फोड़ अपशिष्ट से धूल, वाहन उत्सर्जन और औद्योगिक उत्सर्जन का आकलन किया गया।