राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने भारत के व्यावसायिक विश्वास सूचकांक (बीसीआई) में तीव्र वृद्धि दर्ज की है, जो 2024-25 की अप्रैल-जून तिमाही में पिछली तिमाही के 139.3 से बढ़कर 149.4 हो गया। विश्वास में यह वृद्धि सभी प्रमुख आर्थिक संकेतकों में सकारात्मक उम्मीदों से प्रेरित है, जो आने वाले महीनों के लिए भारतीय व्यवसायों में प्रबल आशावाद का संकेत है।
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा जारी बिज़नेस एक्सपेक्टेशंस सर्वेक्षण (जून 2025) के अनुसार, भारत में व्यापारिक माहौल में मजबूत सुधार देखने को मिल रहा है। इस इंडेक्स की गणना चार प्रमुख कारकों पर आधारित होती है:
अगले छह महीनों में आर्थिक हालात में सुधार की उम्मीद
फर्मों की वित्तीय स्थिति में सुधार की आशा
वर्तमान निवेश माहौल का सकारात्मक मूल्यांकन
उत्पादन क्षमता का अनुकूल या उससे अधिक उपयोग
60% से अधिक कंपनियों ने इन सभी मापदंडों पर सकारात्मक उत्तर दिए हैं, जो व्यापक आशावाद को दर्शाता है।
सर्वेक्षण के अनुसार, अधिकांश कंपनियों ने आने वाले महीनों में बेहतर प्रदर्शन की आशा जताई है:
78.7% कंपनियां उत्पादन में वृद्धि की अपेक्षा कर रही हैं
79.1% को घरेलू बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद
66.5% को निर्यात में वृद्धि की आशा
54.3% को कच्चे माल के आयात में बढ़त की उम्मीद (पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 46.1% था)
यह संकेत देता है कि आने वाले समय में उत्पादन गतिविधियां और तेज़ हो सकती हैं।
60.9% कंपनियों को उम्मीद है कि पूर्व-कर लाभ (Pre-Tax Profit) में सुधार होगा, जिससे यह संकेत मिलता है कि कंपनियों को बेहतर मार्जिन की संभावना दिख रही है।
उत्पादन और बिक्री की आशावादिता के बावजूद:
नौकरी सृजन या वेतन वृद्धि में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया
सर्वेक्षण में हायरिंग सेंटिमेंट स्थिर पाया गया
कंपनियां आउटपुट बढ़ा रही हैं, पर वर्कफोर्स का विस्तार नहीं कर रहीं
यह दर्शाता है कि मुनाफे की प्राथमिकता पर ज़ोर दिया जा रहा है, श्रमिक लाभ बाद में आ सकता है।
यह तिमाही सर्वे जून 2025 में किया गया
6 प्रमुख भारतीय शहरों में स्थित 479 कंपनियों को शामिल किया गया
इसमें विविध उद्योग क्षेत्रों की कंपनियाँ शामिल हैं – जो देश की व्यवसायिक भावना का व्यापक चित्र प्रस्तुत करती है
यदि यह सकारात्मक रुझान जारी रहता है, तो भारत में:
निवेश प्रवाह में तेजी
निर्यात वृद्धि
क्षमता उपयोग में सुधार
जैसे कारक आर्थिक वृद्धि को मजबूती दे सकते हैं।
लेकिन श्रमिक बाज़ार में स्थिरता दर्शाती है कि विकास का लाभ आम लोगों तक पहुंचने में समय लग सकता है।
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