भारतीय रेल ने सतत परिवहन नवाचार की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश की पहली हटाने योग्य (Removable) सौर पैनल प्रणाली का शुभारंभ किया है। यह प्रणाली वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW) में स्थापित की गई है। यह हरित ऊर्जा पहल भारतीय रेल की नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण-अनुकूल अवसंरचना के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
मुख्य विशेषताएँ
स्थान: बनारस लोकोमोटिव वर्क्स, वाराणसी
लंबाई: 70 मीटर ट्रैक क्षेत्र
पैनलों की संख्या: 28
क्षमता: 15 किलोवॉट पीक (kWp)
प्रकार: हटाने योग्य डिज़ाइन, जिससे रखरखाव और परिचालन लचीलापन संभव
प्रारंभ तिथि: 19 अगस्त 2025
यह अभिनव प्रणाली भारतीय रेलवे की कार्बन न्यूट्रल और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है।
ग्रीन एनर्जी विकास के साथ-साथ भारतीय रेल ने माल ढुलाई नेटवर्क को भी मज़बूती दी है। 10 अगस्त 2025 को, पहली बार औद्योगिक नमक लदी रेल रेक को सानोसरा (भुज–नलिया सेक्शन) से दहेज के लिए रवाना किया गया।
मुख्य तथ्य
माल का प्रकार: औद्योगिक नमक
मात्रा: 3,851.2 टन
मार्ग: सानोसरा से दहेज (673.57 किमी)
आय: ₹31.69 लाख
लोडिंग तिथि: 9 अगस्त 2025
यह नया मार्ग गुजरात के नमक उद्योग के लिए नए व्यापारिक गलियारे खोलेगा और किफ़ायती माल ढुलाई में रेलवे की रीढ़ की भूमिका को और मजबूत करेगा।
रेलवे अवसंरचना के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम पश्चिम रेलवे ने उठाया है। रतलाम मंडल के अंतर्गत नगदा–खाचरोद खंड में भारत का पहला 2×25 kV इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन सिस्टम चालू किया गया।
प्रमुख बिंदु
पावर ट्रांसफॉर्मर: दो Scott-Connected 100 MVA ट्रांसफॉर्मर
विशेषता: ओवरहेड उपकरण (OHE) को कुशल विद्युत आपूर्ति
नवाचार: भारत में पहली बार Scott Transformer Technology का प्रयोग
महत्त्व: ऊर्जा दक्षता बढ़ाना और उच्च-लोड गलियारों में ट्रांसमिशन लॉस कम करना
यह उपलब्धि भारत की अगली पीढ़ी की विद्युतीकरण रणनीति का हिस्सा है, जो रेलवे को और अधिक कुशल और पर्यावरण-अनुकूल बनाएगी।
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