भारतीय नौसेना को देश का पहला स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत (आईएसी-1) मिल गया। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड यानी सीएसएल ने इसे सौंपा। नौसेना में इसके शामिल होने से भारतीय समुद्र क्षेत्र (आईओआर) में देश की स्थिति और मजबूत होगी। नौसेना के आंतरिक नौसेना डिजाइन निदेशालय ने इस पोत का डिजाइन है। इसका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत, भारतीय नौसेना जहाज (आईएनएस) विक्रांत के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। आधिकारिक तौर पर इसे अगस्त में नौसेना में शामिल किया जा सकता है।
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मुख्य बिंदु:
- आईएसी-1 भारत में बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है। इसका भार लगभग 45,000 टन है।
- इसे देश की सबसे महत्वाकांक्षी नौसैनिक पोत परियोजना भी माना जाता है। नया पोत अपने पूर्ववर्ती की तुलना में काफी बड़ा और उन्नत है, जो 262 मीटर लंबा है।
- इसे चार गैस टर्बाइन के जरिये कुल 88 मेगावॉट की ताकत मिलेगी। इस पोत की अधिकतम गति 28 नॉटिकल मील है।
- इसके अनुसार, करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना रक्षा मंत्रालय और सीएसल के बीच हुए अनुबंध के साथ तीन चरणों में आगे बढ़ी।
- आईएसी के निर्माण में कुल 76 फीसदी स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक आदर्श उदाहरण है। यह सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी गति प्रदान करता है।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- नौसेनाध्यक्ष: एडमिरल आर. हरि कुमार