इंडियन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर लगने वाले जुर्माने को समाप्त कर दिया है। यह बदलाव जुलाई 2025 से प्रभावी हुआ है, जिसमें इंडियन बैंक ने 7 जुलाई से और पीएनबी ने 1 जुलाई से यह नियम लागू किया है। इस कदम का उद्देश्य बैंकिंग को देशभर के लोगों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और कम आय वर्ग के लिए अधिक सरल और सुलभ बनाना है।
खाताधारकों के लिए बड़ी राहत
7 जुलाई 2025 से इंडियन बैंक बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर कोई जुर्माना नहीं वसूलेगा। इसी तरह, पीएनबी ने 1 जुलाई से ऐसे सभी शुल्क समाप्त कर दिए हैं। यह कदम छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, छोटे दुकानदारों और ग्रामीण परिवारों सहित कई तरह के ग्राहकों को लाभ पहुंचाएगा।
बैंकों का मानना है कि इन शुल्कों को हटाने से अधिक लोग बैंक खाते खोलने और उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। यह वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की एक बड़ी पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना है।
उधारकर्ताओं के लिए सस्ती ब्याज दरें
न्यूनतम बैलेंस जुर्माना हटाने के साथ ही इंडियन बैंक ने अपने कर्ज पर ब्याज दरों में भी मामूली कटौती की है। 3 जुलाई 2025 से बैंक ने एक साल की एमसीएलआर (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) को 5 बेसिस प्वाइंट घटाकर 9% कर दिया है। इसका लाभ नए ऋण लेने वाले ग्राहकों को मिलेगा, जिससे उन्हें ब्याज में थोड़ी बचत हो सकेगी।
कमजोर वर्गों को सहारा
पीएनबी ने कहा है कि न्यूनतम बैलेंस शुल्क हटाने से महिलाओं, किसानों और निम्न आय वर्ग के लोगों को विशेष राहत मिलेगी। इन वर्गों के लिए न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है, और अब यह राहत उनके आर्थिक बोझ को कम करेगी।
पीएनबी के एमडी और सीईओ अशोक चंद्रा ने कहा,“हम मानते हैं कि इन शुल्कों को हटाने से ग्राहकों पर वित्तीय दबाव घटेगा और वे औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में अधिक भागीदारी करेंगे।”
यह पहल समावेशी बैंकिंग को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है, जिसका स्वागत देशभर में लाखों ग्राहक करेंगे।


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