भारतीय वायु सेना (आईएएफ) स्वदेशी एस्ट्रा बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को शामिल करने के साथ अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है। भारतीय वायुसेना ने इन उन्नत मिसाइलों के लिए भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) के साथ अनुबंध किया है, जो आयात निर्भरता को कम करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एस्ट्रा-एमके1 इंडक्शन:
रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) सहित अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित एस्ट्रा-एमके1 मिसाइलों का पहला बैच 2023 के अंत तक शामिल होने वाला है। बीडीएल को पहले ही थोक उत्पादन मंजूरी मिल चुकी है।
सफल एकीकरण और परीक्षण:
रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि मिसाइल प्रक्षेपण लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक किया गया। “परीक्षण के सभी उद्देश्य पूरे हो गए और यह एक आदर्श प्रक्षेपण
था।” वायु सेना का यह मिसाइल पाकिस्तान और चीन को पस्त करने में सक्षम है। फिलहाल वायु सेना 200 मिसाइल का आर्डर दे सकती है। इस मिसाइल का अगला मेक 2 भी ट्रायल फेज में हैं. यह लंबी दूरी की मिसाइल होगी। फिलहाल अस्त्र-एमके1 को सेना में शामिल किया जाएगा।
मिसाइल की खासियत
इसमें ऑप्टिकल प्रॉक्सीमिटी फ्यूज लगा है। यानी यह मिसाइल टारगेट पर नजर रखती है। वह कितना भी दाएं-बाएं हो, उससे टकराकर फट जाती है। मिसाइल का वजन 154 KG है। लंबाई 12.6 फीट है। अस्त्र मिसाइल में हाई-एक्सप्लोसिव या प्री-फ्रैगमेंटेड एचएमएक्स हथियार लगा सकते हैं। यह अपने साथ 15 KG का हथियार ले जा सकती है। इसकी रेंज 160 किलोमीटर है। यह अधिकतम 66 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है। यह 5556.6 km/घंटा की रफ्तार से दुश्मन की ओर जाती है। इसकी खास बात ये है कि इसे टारगेट की ओर छोड़ने के बाद बीच हवा में इसकी दिशा को बदला जा सकता है। क्योंकि यह फाइबर ऑप्टिक गाइरो बेस्ट इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम पर चलती है। इस मिसाइल के पहले वैरिएंट को मिग-29यूपीजी/मिग-29के, सुखोई सू-30एमकेआई, तेजस एमके.1/1A में लगाया गया है।