बाड़मेर जिले के उत्तरलाई में मिग-21 बाइसन विमान ने आखिरी उड़ान भरी। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए मिग-21 बाइसन ने Su-30 MKI के साथ उड़ान भरी। इस समारोह के दौरान तीनों सेनाओं के सैनिक मौजूद रहे।
बता दें कि मिग-21 बाइसन स्क्वाड्रन ने लगभग छह दशकों तक देश की सेवा की है और भारत-पाक संघर्षों के दौरान युद्ध प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ‘ओरियल्स’ के नाम से जाना जाने वाला स्क्वाड्रन 1966 से मिग-21 का संचालन कर रहा है और अब इसे सुखोई-30 एमकेआई विमान से सुसज्जित किया जा रहा है। यह परिवर्तन देश के आसमान को आधुनिक बनाने और उसकी रक्षा करने के लिए भारतीय वायु सेना की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मिग विमान क्यों हटाए जा रहे?
मिग-21 के पुराने पड़ने और लगातार हादसों का शिकार होने के कारण वायुसेना ने इनको बेडे़ से हटाने का फैसला लिया था। इसी साल मई में एक मिग विमान राजस्थान के एक गांव में गिर गया था। घटना में 3 लोगों की मौत हुई थी। मिग-21 से अभी तक 400 से अधिक हादसे हो चुके हैं। इसी कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ भी कहा जाता है। सभी मिग-21 को 2025 की शुरूआत तक चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाएगा।
मिग-21 का इतिहास?
भारतीय वायुसेना में मिग-21 लड़ाकू विमान को 1963 में शामिल किया गया था। मौजूदा समय में वायुसेना के पास 31 स्क्वाड्रन थे, जिनमें 3 मिग-21 बाइसन संस्करण के थे। तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने 1985 में इसका निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है।