भारत और विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने 25 अगस्त 2025 को एक उद्देश्य पत्र (LoI) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत संकटग्रस्त क्षेत्रों में पोषक तत्वों से युक्त चावल (Fortified Rice) उपलब्ध कराएगा। यह दोनों के बीच चल रहे सहयोग का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है और मानवीय आपात स्थितियों में असुरक्षित आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा के वैश्विक साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को पुनः स्थापित करता है।
भारत की वैश्विक खाद्य सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता
जीवनरक्षक के रूप में फोर्टिफाइड चावल
इस समझौते के अंतर्गत भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD), WFP को भारत से फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराने में सक्षम बनाएंगे। फोर्टिफाइड चावल में लौह (Iron), फोलिक एसिड और विटामिन B12 जैसे आवश्यक पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जो छिपी हुई भूख (पोषक तत्वों की कमी से होने वाला कुपोषण) से निपटने में सहायक हैं।
भारत का कृषि अधिशेष इसे एक भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता बनाता है और यह कदम “वसुधैव कुटुम्बकम्” (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) की भावना के अनुरूप है, जो वैश्विक स्तर पर खाद्य असुरक्षित समुदायों की मदद के प्रति भारत की मानवीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वैश्विक साझेदारी को सशक्त बनाना
भारत और WFP नेताओं के वक्तव्य
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श्री संजीव चोपड़ा, सचिव, DFPD ने कहा कि यह पहल वैश्विक कल्याण हेतु सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना से प्रेरित है।
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वहीं, कार्ल स्काऊ, उप कार्यकारी निदेशक, WFP ने भारत के निरंतर प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने दुनिया को अधिक खाद्य-सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने में योगदान दिया है।
यह साझेदारी केवल बढ़ती वैश्विक खाद्य असुरक्षा का जवाब नहीं है, बल्कि अधिशेष उत्पादन करने वाले राष्ट्र और संघर्ष व आपदा क्षेत्रों में कार्यरत एक वैश्विक सहायता एजेंसी के बीच संसाधनों का रणनीतिक संयोग भी है।
उद्गम और व्यापक सहयोग
रोम की चर्चाओं से औपचारिक साझेदारी तक
यह LoI फरवरी 2025 में रोम में आयोजित WFP कार्यकारी बोर्ड की बैठक के दौरान हुई चर्चाओं का परिणाम है, जहाँ भारत और WFP ने दीर्घकालिक सहयोग पर विचार-विमर्श किया था। अब यह दस्तावेज़ भारत की भूमिका को WFP के मानवीय अभियानों के लिए खाद्यान्न आपूर्ति में एक प्रमुख भागीदार के रूप में औपचारिक रूप से स्थापित करता है।
चावल आपूर्ति से परे, भारत और WFP कई महत्वपूर्ण नवाचारों पर भी सहयोग कर रहे हैं, जैसे—
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सप्लाई चेन ऑप्टिमाइज़ेशन – वितरण और क्रय प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाना।
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अन्नपूर्णि डिवाइस (ग्रेन एटीएम) – तकनीक आधारित अनाज वितरण प्रणाली।
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जन पोषण केंद्र – सामुदायिक पोषण हब।
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स्मार्ट वेयरहाउसिंग – डिजिटल प्रबंधन से भंडारण, अपव्यय में कमी और खाद्य सुरक्षा।
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फ्लोस्पैन्स (मोबाइल स्टोरेज यूनिट्स) – दूरदराज़ क्षेत्रों में खाद्य भंडारण हेतु लचीला ढांचा।
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फोर्टिफाइड चावल विस्तार – सार्वजनिक वितरण प्रणाली के ज़रिए व्यापक स्तर पर फोर्टिफाइड चावल उपलब्ध कराना।
ये परियोजनाएँ न केवल भारत के लाभार्थियों की सेवा करती हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर लागू किए जा सकने वाले मॉडल भी प्रस्तुत करती हैं।
इस साझेदारी का महत्व
भूख संकट का समाधान
जब मानवीय वित्तपोषण दबाव में है और संघर्ष, जलवायु परिवर्तन तथा आर्थिक अस्थिरता करोड़ों लोगों को भूख की ओर धकेल रही है, तब यह भारत-WFP समझौता पोषणयुक्त भोजन का एक भरोसेमंद और समय पर स्रोत प्रदान करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया क्षमता को मजबूत करता है और WFP को शून्य भूख (SDG 2) की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता पूरी करने में मदद करता है।
भारत की उभरती वैश्विक भूमिका
यह पहल भारत को पारंपरिक सहायता प्राप्तकर्ता की भूमिका से आगे बढ़ाकर वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं का प्रदाता बनाती है। यह दर्शाती है कि भारत खाद्य प्रणालियों और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में जिम्मेदार नेतृत्व, संसाधन-साझेदारी और नीतिगत नवाचार की क्षमता रखता है।


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