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भारत-यूके विज़न 2035 का विश्लेषण: भविष्य के लिए अरबों डॉलर की रूपरेखा!

लंदन में 24 जुलाई 2025 को एक उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन के दौरान भारत और यूनाइटेड किंगडम ने भारत-यूके विज़न 2035 का अनावरण किया। यह रूपरेखा द्विपक्षीय सहयोग को व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा, शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में गहराई और विविधता प्रदान करने के लिए एक परिवर्तनकारी एजेंडा प्रस्तुत करती है। यह दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर आधारित है और बदलती वैश्विक चुनौतियों के बीच एक सुरक्षित, सतत और समृद्ध विश्व के निर्माण के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

पृष्ठभूमि

भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंध हैं, जो अब एक व्यापक द्विपक्षीय साझेदारी में परिवर्तित हो चुके हैं। 2021 में दोनों देशों ने अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) के स्तर तक उन्नत किया, जिसके बाद से व्यापार, स्वास्थ्य, जलवायु और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग हुआ है। भारत-यूके विज़न 2035 इन्हीं प्रयासों की निरंतरता और विस्तार है, जो भविष्य के रिश्तों को दिशा देने के लिए एक सुव्यवस्थित और समयबद्ध ढांचा प्रस्तुत करता है।

महत्त्व

  • वैश्विक नेतृत्व: यह विज़न दोनों देशों को नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और बहुपक्षीय सुधारों के अग्रदूत के रूप में स्थापित करता है।

  • आर्थिक प्रभाव: भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) तथा प्रस्तावित द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) जैसी पहलों के माध्यम से व्यापार, रोज़गार और निवेश में वृद्धि होगी।

  • रणनीतिक स्वायत्तता: रक्षा और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ेगा, विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।

  • जलवायु और ऊर्जा संक्रमण: यह संयुक्त जलवायु नेतृत्व और स्वच्छ ऊर्जा नवाचार को गति देगा।

  • जनकेंद्रित विकास: शिक्षा, युवा आवाजाही और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मज़बूती देकर नागरिकों को सीधा लाभ पहुँचाएगा।

भारत-यूके विज़न 2035 के उद्देश्य

  • द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को गतिशील आर्थिक संवादों के माध्यम से विस्तार देना।

  • रक्षा सहयोग और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में संयुक्त क्षमताओं को सुदृढ़ करना।

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), जैव-प्रौद्योगिकी और सेमीकंडक्टर सहित तकनीकी और डिजिटल नवाचार में नेतृत्व स्थापित करना।

  • सतत विकास और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा देना।

  • शिक्षा और सांस्कृतिक साझेदारियों के माध्यम से जन-से-जन संपर्क को सशक्त बनाना।

प्रमुख विशेषताएँ

1. वृद्धि और रोज़गार

  • CETA के कार्यान्वयन से वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार में तेज़ी।

  • पूंजी बाज़ारों की कनेक्टिविटी, विधिक सेवाओं और अवसंरचना वित्त को बढ़ावा।

  • JETCO, EFD और FMD जैसे मंचों के माध्यम से आर्थिक सहयोग को दिशा देना।

2. प्रौद्योगिकी और नवाचार

  • यूके-भारत अनुसंधान एवं नवाचार कॉरिडोर के तहत R&D ईकोसिस्टम का एकीकरण।

  • संयुक्त AI केंद्र और कनेक्टिविटी नवाचार केंद्र की स्थापना।

  • क्रिटिकल मिनरल्स, बायोटेक्नोलॉजी, अंतरिक्ष अनुसंधान और क्वांटम तकनीक पर विशेष ध्यान।

3. रक्षा और सुरक्षा

  • 10 वर्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप की शुरुआत।

  • इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन, जेट इंजन तकनीक और साइबर सुरक्षा में सहयोग।

  • आतंकवाद, साइबर अपराध और अवैध वित्त के विरुद्ध संयुक्त प्रयास।

4. जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा

  • ग्रीन फाइनेंस, ऑफशोर विंड, SMRs और हाइड्रोजन पर संयुक्त पहल।

  • कार्बन क्रेडिट मार्केट, ऊर्जा भंडारण और पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सहयोग।

  • ISA, CDRI और OSOWOG जैसे वैश्विक गठबंधनों को सशक्त बनाना।

5. शिक्षा और संस्कृति

  • भारत में यूके विश्वविद्यालयों के कैंपस की स्थापना और सीमापार शिक्षा का विस्तार।

  • भारत-यूके ग्रीन स्किल्स साझेदारी की शुरुआत।

  • यंग प्रोफेशनल्स स्कीम और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को जोड़ना।

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