भारत 9 मार्च से 14 मार्च 2026 तक पहली बार कॉमनवेल्थ खो-खो चैम्पियनशिप की मेजबानी करने जा रहा है। कॉमनवेल्थ के 24 से अधिक देशों के इसमें भाग लेने की उम्मीद है, जो पारंपरिक भारतीय खेल खो-खो के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स से मंजूरी
कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स ने आधिकारिक रूप से भारत को 2026 खो-खो चैम्पियनशिप की मेजबानी की मंजूरी दे दी है। यह फैसला इस खेल के प्रति बढ़ती वैश्विक रुचि और भारत की खेल विरासत की पहचान को दर्शाता है।
वैश्विक भागीदारी
एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ओशिनिया और अमेरिका सहित कॉमनवेल्थ के 24 से अधिक देश इस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेंगे। कॉमनवेल्थ 56 स्वतंत्र देशों का संगठन है, जिसकी जनसंख्या लगभग 2.7 अरब है—जिससे यह आयोजन वास्तव में अंतरराष्ट्रीय बन जाता है।
खो-खो वर्ल्ड कप के बाद अगला बड़ा आयोजन
इस वर्ष नई दिल्ली में आयोजित पहले खो-खो वर्ल्ड कप के बाद यह चैम्पियनशिप खो-खो का अगला प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम मानी जा रही है। वर्ल्ड कप में 23 देशों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 20 पुरुष और 19 महिला टीमें शामिल थीं।
2026 चैम्पियनशिप में भी 16 पुरुष टीमों और 16 महिला टीमों के एक साथ मुकाबले होंगे।
स्थान और भविष्य की योजनाएँ
खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया कई राज्यों से बातचीत कर रहा है ताकि आयोजन स्थल को अंतिम रूप दिया जा सके। उम्मीद है कि अहमदाबाद—जो 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करेगा—इस आयोजन से लाभान्वित होगा।
फेडरेशन के महासचिव उपकार सिंह विर्क के अनुसार, यह चैम्पियनशिप खो-खो को भविष्य के अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में शामिल कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जैसे:
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दोहा एशियाई खेल 2030
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कॉमनवेल्थ गेम्स 2030
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ब्रिस्बेन ओलंपिक 2032
भारतीय पारंपरिक खेलों को बढ़ावा
यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन भारतीय पारंपरिक खेलों की लोकप्रियता को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही, यह भारत के युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगा और खो-खो के अंतरराष्ट्रीय विस्तार के लिए नए अवसर खोलेगा।


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