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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में भारत को अपना पहला वन विश्वविद्यालय मिलेगा

भारत अपनी पहली ‘वन विश्वविद्यालय (Forest University)’ की स्थापना की तैयारी कर रहा है, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थापित की जाएगी। यह पहल वानिकी, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा एवं अनुसंधान को नई दिशा देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह परियोजना जैव-विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पर बढ़ते राष्ट्रीय फोकस को दर्शाती है।

स्थान और अवसंरचना

  • शहर: गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
  • परिसर क्षेत्रफल: लगभग 125 एकड़
  • निकटवर्ती केंद्र: जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र
  • प्रारंभिक बजट आवंटन: ₹50 करोड़ (राज्य बजट में)

प्रस्तावित सुविधाएँ—

  • शैक्षणिक भवन और शोध प्रयोगशालाएँ
  • लगभग 500 छात्रों के लिए छात्रावास
  • छात्र एवं छात्राओं के लिए अलग-अलग आवास
  • सभागार, खेल सुविधाएँ और फैकल्टी आवास

शैक्षणिक फोकस

विश्वविद्यालय में निम्नलिखित क्षेत्रों में डिग्री एवं डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे—

  • वानिकी एवं कृषि-वानिकी
  • सामाजिक वानिकी
  • बागवानी
  • वन्यजीव संरक्षण
  • पर्यावरण एवं जलवायु अध्ययन
  • पारिस्थितिकी से संबंधित जैव-प्रौद्योगिकी

पाठ्यक्रमों में प्रायोगिक शिक्षा, फील्ड रिसर्च और प्रत्यक्ष संरक्षण कार्य पर विशेष बल दिया जाएगा।

वन विश्वविद्यालय के उद्देश्य

  • वन विभागों एवं संरक्षण एजेंसियों के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करना
  • जैव-विविधता, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर अनुसंधान को बढ़ावा देना
  • सतत वन प्रबंधन और वन्यजीव संरक्षण को मजबूत करना
  • कृषि-वानिकी और पर्यावरण जैव-प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता विकसित करना
  • वनों की कटाई और पारिस्थितिक चुनौतियों से निपटने में सहायता

वन विश्वविद्यालय क्या है?

वन विश्वविद्यालय एक विशेषीकृत उच्च शिक्षण संस्थान होता है, जो वानिकी विज्ञान, वन्यजीव अध्ययन, पारिस्थितिकी प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थिरता पर केंद्रित होता है। यह सामान्य विश्वविद्यालयों से अलग होता है क्योंकि इसमें कक्षा आधारित अध्ययन के साथ-साथ व्यापक फील्ड प्रशिक्षण भी शामिल होता है।

मुख्य बिंदु

  • भारत का पहला वन विश्वविद्यालय गोरखपुर में स्थापित होगा
  • वानिकी, वन्यजीव और पर्यावरण विज्ञान पर केंद्रित
  • प्रायोगिक एवं फील्ड आधारित शिक्षा पर विशेष जोर
  • संरक्षण अनुसंधान और सतत वन प्रबंधन को बढ़ावा
  • जलवायु और जैव-विविधता लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण पहल
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