आपात स्थिति में आपूर्ति दिक्कतों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भारत कच्चे तेल का अपना पहला वाणिज्यिक रणनीतिक भंडारण बनाएगा। सरकार ने देश में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार तैयार करने और उसके परिचालन के लिए विशेष इकाई इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आइएसपीआरएल) का गठन किया है।
इस इकाई ने कर्नाटक के पादुर में 25 लाख टन भूमिगत भंडारण बनाने के लिए 22 अप्रैल तक बोलियां मांगी हैं। दरअसल, आइएसपीआरएल ने पहले चरण में तीन स्थानों पर 53.3 लाख टन का भंडारण बनाया था। ये तीन जगह आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम (13.3 लाख टन) कर्नाटक में मंगलुरू (15 लाख टन) तथा पादुर (25 लाख टन) हैं। तेल के भंडारण के लिए ये भूमिगत चट्टानी गुफाएं हैं। पहले चरण के तहत भंडारण का निर्माण सरकारी खर्च पर किया गया है।
भूमिगत पेट्रोलियम भंडार तैयार करने की योजना
दूसरे चरण में आइएसपीआरएल की पादुर-दो में 5,514 करोड़ रुपये की लागत से वाणिज्यिक सह रणनीतिक भूमिगत पेट्रोलियम भंडार तैयार करने की योजना है। इसमें जमीन के ऊपर संबंधित सुविधाएं भी शामिल है। इस निर्माण कार्य में 25 लाख टन कच्चा तेल के रणनीतिक भंडार के लिए एसपीएम (सिंगल पॉइंट मूरिंग) और संबद्ध पाइपलाइन (तट पर और अपतटीय) का निर्माण शामिल हैं।
आईएसपीआरएल ने निविदा में कहा कि पादुर-दो का निर्माण पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल में किया जाएगा। इसमें निजी इकाइयां भंडारण का डिजाइन, निर्माण, वित्तपोषण और परिचालन करेंगी। बोलीदाताओं से कहा गया है कि वे भंडारण के निर्माण के लिए आवश्यक वित्तीय अनुदान या उस प्रीमियम/शुल्क का बतायें जो वे प्राधिकरण को देना चाहते हैं।
अनुदान की अधिकतम सीमा 3,308 करोड़ रुपये
निविदा दस्तावेज में कहा गया है कि यह परियोजना उन इकाइयों को दी जाएगी, जो अधिक प्रीमियम/शुल्क देंगे। जहां कोई भी बोली लगाने वाला प्रीमियम की पेशकश नहीं कर रहा है, यह सबसे कम अनुदान चाहने वाले को दी जाएगी। आईएसपीआरएल ने कहा कि परियोजना के लिए अनुदान की अधिकतम सीमा 3,308 करोड़ रुपये होगी। एक बोली लगाने वाला जो अनुदान चाहता है वह कोई प्रीमियम नहीं दे सकता है। भारत अपनी 85 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की जरूरतों को आयात के माध्यम से पूरा करता है।