भारत सरकार आने वाले पायलटों की ट्रेनिंग के लिए स्वदेशी इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट बनाने जा रही है। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। भारत ने अपने अगली पीढ़ी के इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान ‘ई-हंसा (E-Hansa)’ के विकास की शुरुआत कर दी है, जो हरित विमानन (Green Aviation) और स्वदेशी एयरोस्पेस तकनीक की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दो-सीटर विमान काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च – नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेट्रीज़ (CSIR-NAL) द्वारा विकसित किया जा रहा है और इसकी लागत आयातित विकल्पों की तुलना में लगभग आधी होगी। यह घोषणा केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 27 मई 2025 को एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में की।
क्यों है समाचारों में?
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रमुख वैज्ञानिक विभागों की समीक्षा बैठक में ई-हंसा परियोजना के शुभारंभ की घोषणा की। यह विमानन को हरित, किफायती और आत्मनिर्भर बनाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। इस बैठक में ISRO के SPADEX मिशन और Axiom Space मिशन में भारत की भागीदारी की भी चर्चा हुई। भारत “Whole-of-Government” दृष्टिकोण अपनाकर विज्ञान क्षेत्र को समग्र रूप से रूपांतरित करने की दिशा में कार्य कर रहा है।
ई-हंसा इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान
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विकासकर्ता: CSIR-NAL, बेंगलुरु
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प्रकार: दो-सीटर इलेक्ट्रिक ट्रेनर विमान
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लागत: लगभग ₹2 करोड़ (विदेशी विकल्पों से 50% सस्ता)
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उद्देश्य: सस्ती और पर्यावरण अनुकूल फ्लाइट ट्रेनिंग सुविधा प्रदान करना
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कार्यक्रम: हंसा-3 (NG) ट्रेनर विमान कार्यक्रम का हिस्सा
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महत्त्व: आयात पर निर्भरता घटाता है, हरित विमानन के लक्ष्यों को समर्थन देता है
प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण और PPP (सार्वजनिक-निजी भागीदारी)
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NRDC को BIRAC और IN-SPACe मॉडल अपनाने के निर्देश
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“हब एंड स्पोक” PPP मॉडल को प्रोत्साहन
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AI आधारित टेक/IP एक्सचेंज प्लेटफॉर्म प्रस्तावित
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क्षेत्रीय NTTO (नेशनल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर ऑफिस) बनाए जाएंगे
ISRO की उपलब्धियाँ
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SPADEX मिशन में सफलतापूर्वक डॉक्सिंग/अनडॉक्सिंग – गगनयान मिशन के लिए अहम
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ऑपरेशन सिंदूर में प्रमुख भूमिका
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40 मंत्रालयों और 28 राज्यों के साथ समन्वय
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Axiom Space मिशन में योगदान
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ग्रुप कैप्टन सुभाष शुक्ला द्वारा अंतरिक्ष स्टेशन पर 7 माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए जाएंगे
संपूर्ण विज्ञान, संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण
क्षेत्रीय चिंतन शिविर (Chintan Shivirs) का आयोजन निम्नलिखित एजेंसियों के साथ:
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DST, DBT, CSIR, ISRO, MoES, परमाणु ऊर्जा विभाग
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समेकित योजना और अंतर-विभागीय समन्वय को प्रोत्साहन
वैश्विक सहयोग और विज्ञान प्रतिभा गतिशीलता
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Global Science Talent Bridge का प्रस्ताव – अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों को आकर्षित करने के लिए
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स्विट्ज़रलैंड, इटली आदि से भारत शैली के विज्ञान केंद्रों में रुचि
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प्रधानमंत्री द्वारा छात्रों के लिए CSIR लैब्स खोलने की घोषणा का स्वागत – हालांकि वर्तमान में सुरक्षा कारणों से स्थगित