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भारत ने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि प्राइम’ का सफल परीक्षण किया

भारत ने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि प्राइम' का सफल परीक्षण किया |_3.1

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 07 जून 2023 को बैलिस्टिक अग्नि मिसाइल के उन्नत संस्करण (वर्जन) का सफलतापूर्वक परिक्षण पूरा किया। अब यह मिसाइल अपने पुराने वर्जन के मुकाबले और ज्यादा खूबियों से लैस हो गई है। भारत लगातार अपने रक्षा क्षेत्रों को मजबूत कर रहा है। इस मिसालइल की मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किलोमीटर है और यह अपने साथ परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है।

 

अग्नि प्राइम मिसाइल

 

अग्नि प्राइम मिसाइल नई पीढ़ी की मिसाइल है। इसकी रेंज एक से दो हजार किलोमीटर है। अग्नि प्राइम मिसाइल के तीन सफल परीक्षणों के बाद यह पहला प्री-इंडक्शन नाइट लॉन्च था। यह परीक्षण इस सिस्टम की सटीकता और विश्वसनीयता को मापने के लिए किया गया था। जिसमें यह खरा उतरा है। इस मिसाइल के पूरे ट्रैजेक्टरी को कवर करने और उड़ान डेटा को कैप्चर करने के लिए टर्मिनल बिंदु पर दो डाउनरेंज जहाजों को लगाया गया था। इसके साथ ही विभिन्न स्थानों पर रडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे कई रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन तैनात किए गए थे।

 

राजनाथ सिंह ने दी बधाई

डीआरडीओ औरस्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के वरिष्ठ अधिकारियों ने सफल उड़ान परीक्षण को देखा है। इस परीक्षण से सशस्त्र बलों की ताकत में और इजाफा हो गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ और सशस्त्र बलों को सफलता के लिए बधाई दी। वहीं, इससे पहले भी 01 जून को भारत ने अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रशिक्षण प्रक्षेपण किया था।

 

सशस्त्र बलों में प्रवेश का मार्ग

 

‘अग्नि प्राइम’ के प्री-इंडक्शन नाइट लॉन्च का त्रुटिहीन निष्पादन सशस्त्र बलों में एकीकृत होने की दिशा में मिसाइल की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। परीक्षण की सफलता प्रणाली की परिचालन तत्परता में विश्वास को मान्य करती है और भारत की रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि करने की इसकी क्षमता को प्रदर्शित करती है। इस उपलब्धि के साथ, भारत अपनी निवारक क्षमताओं को मजबूत करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाता है।

FAQs

भारत की पहली मिसाइल का क्या नाम है?

पृथ्वी एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) द्वारा निर्मित भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित बैलिस्टिक मिसाइल थी।