भारत ने एक बार फिर युनेस्को (UNESCO) के कार्यकारी बोर्ड में 2025–2029 अवधि के लिए सीट हासिल की है। यह उपलब्धि वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती नेतृत्व क्षमता, शिक्षा–संस्कृति–विज्ञान–संचार जैसे क्षेत्रों में बहुपक्षीय सहयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और युनेस्को के एजेंडा में उसके सार्थक योगदान की अंतरराष्ट्रीय सराहना को दर्शाती है। यह घोषणा भारत के स्थायी प्रतिनिधि मंडल द्वारा की गई।
UNESCO के तीन संवैधानिक अंगों में से एक कार्यकारी बोर्ड संगठन के कामकाज के केंद्र में है। इसकी प्रमुख भूमिकाएँ शामिल हैं—
जनरल कॉन्फ़्रेंस द्वारा लिए गए निर्णयों की निगरानी
कार्य कार्यक्रम और बजट तैयार करना
रणनीति एवं नीतिगत दिशा तय करना
58 सदस्य देशों से मिलकर बना यह बोर्ड सुनिश्चित करता है कि UNESCO के निर्णय प्रभावी ढंग से लागू हों।
भारत का पुनर्निर्वाचन उसकी सॉफ्ट पावर, वैश्विक सहयोग और विकास-उन्मुख दृष्टिकोण की मान्यता है। भारत लंबे समय से UNESCO के कई महत्वपूर्ण विषयों को आगे बढ़ाता रहा है—
सभी के लिए शिक्षा और डिजिटल लर्निंग
अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
बहुभाषिकता और समावेशी संचार को बढ़ावा
विज्ञान एवं स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों में सहयोग
सतत विकास, शांति और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी
यह भारत की उस सोच को भी मजबूत करता है जिसमें मानव-केंद्रित और समावेशी विकास मॉडल को केंद्रीय स्थान दिया गया है।
कार्यकारी बोर्ड में भारत की मजबूत उपस्थिति से वैश्विक स्तर पर कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उसका प्रभाव बढ़ेगा—
वैश्विक शिक्षा नीतियाँ, विशेषकर डिजिटल समानता और मूलभूत साक्षरता
भारतीय विरासत स्थलों को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज में बढ़ती मान्यता
जलवायु परिवर्तन, सतत विकास और डिजिटल एथिक्स पर वैज्ञानिक सहयोग
मीडिया स्वतंत्रता, सूचना तक पहुँच और SDG-16 के उद्देश्यों को बढ़ावा
वैश्विक दक्षिण (South–South Cooperation) के देशों के लिए मजबूत आवाज
भारत की विकास नीति निम्न सिद्धांतों पर आधारित है—
शिक्षा व डिजिटल पहुंच में समानता
विविध ज्ञान प्रणालियों व संस्कृति का संरक्षण
लैंगिक समानता और युवा सशक्तिकरण
सीमापार सहयोग व वैश्विक शांति की भावना
भारत मानता है कि जलवायु परिवर्तन, डिजिटल विभाजन और सांस्कृतिक एकरूपता जैसी चुनौतियों का सामना केवल साझी वैश्विक जिम्मेदारी से किया जा सकता है।
भारत ने पहले भी UNESCO के कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में योगदान दिया है—
MGIEP (महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन फॉर पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट) की स्थापना
रामप्पा मंदिर, कुम्भ मेला, कोलकाता की दुर्गा पूजा जैसे विश्व धरोहर स्थलों को मान्यता दिलाना
अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 को आगे बढ़ाना
विश्व दर्शन दिवस, मातृभाषा दिवस और शिक्षक दिवस जैसे अभियानों में सक्रिय भूमिका
पुनर्निर्वाचन से भारत को इन पहलों को और आगे ले जाने और नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
संगठन: UNESCO
भूमिका: कार्यकारी बोर्ड सदस्य (2025–2029)
कुल सदस्य: 58
भारत का फोकस: शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान, संचार व सूचना
बहुपक्षीय दृष्टिकोण: समावेशी, मानव-केंद्रित वैश्विक विकास
भारत द्वारा संचालित प्रमुख UNESCO परियोजनाएँ: MGIEP, विश्व धरोहर स्थल, डिजिटल लर्निंग, स्वदेशी संस्कृति संरक्षण
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