2024 में, भारत वैश्विक स्तर पर साइबर हमलों का दूसरा सबसे अधिक शिकार बनने वाला देश बना, जिसमें 95 संस्थाओं ने डेटा चोरी का शिकार हुआ, जैसा कि क्लाउडएसईके के थ्रेटलैंडस्केप रिपोर्ट 2024 में बताया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका पहले स्थान पर रहा, जहां 140 हमले हुए, जबकि इज़राइल तीसरे स्थान पर रहा, जिसमें 57 हमले हुए।
रिपोर्ट से मुख्य निष्कर्ष
- क्षेत्र-विशिष्ट प्रभाव: सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में वित्त और बैंकिंग क्षेत्र थे, जिनमें 20 शिकार हुए। अन्य प्रभावित क्षेत्रों में सरकार (13 शिकार), दूरसंचार (12), स्वास्थ्य और फार्मा (10), और शिक्षा (9) शामिल थे।
- महत्वपूर्ण डेटा उल्लंघन: महत्वपूर्ण उल्लंघनों में हाई-टेक ग्रुप से भारतीय नागरिकों के 850 मिलियन रिकॉर्ड का लीक होना, स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस के ग्राहक डेटा का लीक होना और टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया से 2TB डेटा का लीक होना शामिल हैं।
- रैनसमवेयर घटनाएँ: रिपोर्ट में भारत में 108 रैनसमवेयर घटनाओं की पहचान की गई, जिनमें लॉकबिट सबसे सक्रिय समूह था, जो 20 से अधिक घटनाओं के लिए जिम्मेदार था। अन्य प्रमुख समूहों में किलसेक और रैंसमहब शामिल थे।
ऐतिहासिक संदर्भ
भारत ने पिछले वर्षों में भी साइबर खतरों का सामना किया है। 2018 में, यह डेटा उल्लंघनों के लिए वैश्विक स्तर पर दूसरे स्थान पर था, जिसमें 690 मिलियन से अधिक इंटरनेट ग्राहक और निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में बढ़ते उल्लंघन शामिल थे।
परिणाम
साइबर हमलों में वृद्धि यह दर्शाती है कि भारत में सभी क्षेत्रों में मजबूत साइबर सुरक्षा उपायों की अत्यधिक आवश्यकता है। सेवाओं के त्वरित डिजिटलीकरण ने कमजोरियों को उजागर किया है, जिससे संवेदनशील डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करने और सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करना अनिवार्य हो गया है।


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