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विश्‍व बैंक ने भारत को विश्‍व के सर्वाधिक समानता वाले देशों में शामिल किया

वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी जुलाई 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2025 के लिए चौथा सबसे समान (समानता वाला) देश घोषित किया गया है। गिनी इंडेक्स (Gini Index) के आधार पर भारत ने 25.5 स्कोर के साथ यह स्थान हासिल किया है, जो कि कई विकसित देशों से भी बेहतर है। यह एक बहुत बड़ा कदम है, खासकर भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश के लिए, और यह दिखाता है कि सरकारी नीतियों और गरीबी उन्मूलन प्रयासों से ज़मीन पर बदलाव हो रहा है।

गिनी इंडेक्स और भारत की रैंकिंग को समझें

गिनी इंडेक्स किसी देश में आय (Income) के वितरण की समानता को मापता है।

  • 0 स्कोर का मतलब है पूरी तरह समानता

  • 100 स्कोर का मतलब है पूरी तरह असमानता

भारत का 25.5 स्कोर उसे दुनिया के सबसे समान देशों में शामिल करता है।
शीर्ष 3 देश:

  1. स्लोवाक गणराज्य (24.1)

  2. स्लोवेनिया (24.3)

  3. बेलारूस (24.4)

  4. भारत (25.5)

भारत की रैंकिंग अब चीन (35.7), अमेरिका (41.8) और सभी G7 और G20 देशों से बेहतर है।
2011 में भारत का स्कोर 28.8 था, यानी एक दशक में भारत ने निरंतर प्रगति की है।

तेजी से घटी गरीबी

भारत में समानता बढ़ने का मुख्य कारण है तेजी से घटती गरीबी दर
वर्ल्ड बैंक की “स्प्रिंग 2025 पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ” के अनुसार:

  • 2011–12 में अत्यधिक गरीबी दर थी: 16.2%

  • 2022–23 में यह घटकर रह गई: 2.3%
    यानी 12 वर्षों में 17.1 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए।

नई वैश्विक गरीबी रेखा ($3/दिन) पर भी, भारत की गरीबी दर सिर्फ 5.3% है।

सरकारी योजनाएं जिन्होंने बड़ा असर डाला

भारत की आय समानता और गरीबी में गिरावट का श्रेय कई योजनाओं को जाता है:

  1. प्रधानमंत्री जन धन योजना (PM Jan Dhan Yojana)
    – अब तक 55.69 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खुले।

  2. आधार और DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर)
    142 करोड़ आधार कार्ड जारी।
    – DBT से सरकार ने ₹3.48 लाख करोड़ की बचत की।

  3. आयुष्मान भारत योजना
    41.34 करोड़ कार्ड जारी।
    – प्रत्येक परिवार को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज
    70 वर्ष से ऊपर के नागरिकों को विशेष लाभ।

  4. स्टैंड-अप इंडिया योजना
    SC/ST और महिला उद्यमियों को ऋण।
    – अब तक ₹62,807 करोड़ वितरित।

  5. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
    29.95 लाख कारीगरों को औजार, प्रशिक्षण और ऋण सहायता।

  6. PMGKAY (निःशुल्क अनाज योजना)
    80.67 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिला, खासकर COVID-19 जैसे संकट के समय।

निष्कर्ष

ये सभी योजनाएं वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और रोजगार सृजन को बढ़ावा देती हैं।
भारत की इस उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि समर्पित नीति, डिजिटल साधन और जन-कल्याण की योजनाएं मिलकर वास्तविक सामाजिक बदलाव ला सकती हैं।

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