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भारतीय डाक ने डिजिटल इंडिया को सशक्त बनाने हेतु IT 2.0 उन्नत डाक प्रौद्योगिकी का अनावरण किया

भारत डाक (India Post) ने आधिकारिक रूप से आईटी 2.0 – उन्नत डाक प्रौद्योगिकी (APT) को पूरे देश में लागू कर दिया है। यह कदम इसके डिजिटल परिवर्तन (Digital Transformation) की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है। डिजिटल इंडिया पहल के अंतर्गत विकसित यह प्रणाली डाक क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों को लाती है, जिससे कार्यप्रणाली सुगम होगी और नागरिकों को बेहतर अनुभव मिलेगा।

आईटी 2.0 – उन्नत डाक प्रौद्योगिकी क्या है?

प्रमुख नवाचार और विशेषताएँ

  • एकीकृत डिजिटल इंटरफ़ेस (Unified Digital Interface): सभी डाक सेवाओं और लेन-देन के लिए एक ही डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म।

  • क्यूआर-कोड आधारित भुगतान: QR स्कैनिंग के माध्यम से तुरंत और सुरक्षित कैशलेस भुगतान।

  • ओटीपी आधारित डिलीवरी सत्यापन: संवेदनशील वस्तुओं की डिलीवरी पर प्राप्तकर्ता की पहचान वन-टाइम पासवर्ड से सुनिश्चित।

  • डिजीपिन (DIGIPIN): 10 अंकों का अल्फ़ान्यूमेरिक डिजिटल पोस्टल पहचान संख्या, जिससे डिलीवरी की सटीकता और ट्रेसबिलिटी बेहतर होगी।

तकनीक और अवसंरचना

  • भारतीय विशेषज्ञता से निर्मित: इसे सेंटर फ़ॉर एक्सीलेंस इन पोस्टल टेक्नोलॉजी (CEPT) ने पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित किया है, जो आत्मनिर्भर भारत की भावना को दर्शाता है।

  • क्लाउड और कनेक्टिविटी: यह प्लेटफ़ॉर्म सरकार की उन्नत क्लाउड प्रणाली मेघराज 2.0 (MeghRaj 2.0) पर आधारित है।

  • BSNL नेटवर्क से समर्थन: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मज़बूत और सतत कनेक्टिविटी सुनिश्चित।

नीतिगत दृष्टि और क्रियान्वयन

  • सरकार की रणनीतिक पहल: इस परियोजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के नेतृत्व में हुई।

  • डिजिटल इंडिया मील का पत्थर: यह कदम पारंपरिक डाक सेवाओं को स्मार्ट, तेज़ और कुशल बनाएगा तथा भारत डाक को एक डिजिटल लॉजिस्टिक्स और संचार अवसंरचना में बदल देगा।

नागरिकों और सेवाओं के लिए लाभ

  • सटीकता में सुधार: नया DIGIPIN सिस्टम दूरदराज़ और ग्रामीण क्षेत्रों में पते की व्याख्या में होने वाली त्रुटियों को समाप्त करेगा।

  • सुरक्षा और गति: ओटीपी सत्यापन के ज़रिए पासपोर्ट, कानूनी दस्तावेज़ और आधार अपडेट जैसी संवेदनशील सेवाओं की सुरक्षित डिलीवरी।

  • कैशलेस लेन-देन: क्यूआर कोड भुगतान से ग्रामीण डाकघरों में भी डिजिटल लेन-देन संभव, जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।

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