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भारत-मंगोलिया ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, मुफ्त वीज़ा की घोषणा की, 70 वर्ष पूरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंगोलियाई राष्ट्रपति खुरेलसुख उखना ने 14 अक्टूबर, 2025 को, नई दिल्ली में उच्च स्तरीय वार्ता की, जो भारत-मंगोलिया संबंधों में एक मील का पत्थर साबित हुई। 70 वर्षों के राजनयिक संबंधों के उपलक्ष्य में आयोजित इस यात्रा में कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और संपर्क, विकास तथा लोगों के बीच आपसी संबंधों को बढ़ाने के उद्देश्य से घोषणाएँ हुईं।

ऐतिहासिक संबंध और प्रमुख मील के पत्थर

  • भारत उन शुरुआती देशों में से था जिन्होंने 1955 में मंगोलिया के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए
  • दशकों में यह संबंध निरंतर मजबूत हुआ है।
  • 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगोलिया यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी (Strategic Partnership) के स्तर तक बढ़ाया गया, जिसके तहत भारत ने 1 अरब डॉलर की ऋण सहायता (Credit Line) प्रदान की थी।
  • 2025 की यह यात्रा भारत–मंगोलिया के 70 वर्षों के द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक साझेदारी के 10 वर्षों का प्रतीक है, जो एक परिपक्व और बहुआयामी सहयोग को दर्शाती है।

प्रमुख समझौते और पहलें

10 समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें शामिल हैं —

  • मानवीय सहायता (Humanitarian Aid)

  • विरासत स्थलों का पुनरुद्धार (Restoration of Heritage Sites)

  • आप्रवासन सहयोग (Immigration Cooperation)

  • भूविज्ञान और खनिज संसाधन अन्वेषण (Geology & Mineral Resources Exploration)

  • सहकारी संस्थाओं का संवर्धन (Promotion of Cooperatives)

  • डिजिटल सहयोग और समाधान साझा करना (Digital Cooperation & Solution Sharing)

साथ ही, लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (Ladakh Autonomous Hill Development Council) और मंगोलिया के अरखांगाई प्रांत (Arkhangai Province) के बीच क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग औपचारिक किया गया।

ऊर्जा और अवसंरचना सहयोग

  • भारत ने 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर की तेल रिफाइनरी परियोजना में समर्थन की पुनर्पुष्टि की।

  • यह मंगोलिया की पहली बड़ी तेल रिफाइनरी होगी, जिसकी क्षमता 1.5 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल को वार्षिक रूप से संसाधित करने की है।

  • परियोजना के 2028 तक चालू होने की उम्मीद है।

  • इसका उद्देश्य मंगोलिया की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ाना और क्षेत्र में भारत की आर्थिक उपस्थिति को सशक्त करना है।

  • भारत ने मंगोलिया में तेल और गैस अन्वेषण में भविष्य के सहयोग की भी रुचि जताई।

डिजिटल और शैक्षणिक कूटनीति

  • दोनों देशों के बीच ई-गवर्नेंस और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने हेतु ऐतिहासिक डिजिटल सहयोग MoU पर हस्ताक्षर हुए।

  • भारत 10 लाख प्राचीन मंगोलियाई पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करेगा।

  • साथ ही, भारत एक संस्कृत शिक्षक को एक वर्ष के लिए मंगोलिया के गंदन मठ (Gandan Monastery) भेजेगा ताकि शैक्षणिक और आध्यात्मिक संबंध गहरे हों।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव

  • दोनों देशों के साझा बौद्ध विरासत को रेखांकित करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय और गंदन मठ को जोड़ने की पहल की गई।

  • भारत ने घोषणा की कि अरहंत सारिपुत्र और मौद्गल्यायन (Sariputra and Maudgalyayana) के पवित्र अवशेष 2026 में मंगोलिया भेजे जाएंगे

  • भारत हर वर्ष युवा मंगोलियाई सांस्कृतिक राजदूतों के दौरे को प्रायोजित करेगा।

  • भारत ने मंगोलियाई नागरिकों के लिए ई-वीजा निःशुल्क करने की घोषणा की, जिससे यात्रा और जनसंपर्क को बढ़ावा मिलेगा।

  • 70 वर्षों के संबंधों की स्मृति में दोनों देशों ने संयुक्त डाक टिकट जारी किए

राजनयिक और वैश्विक सहयोग

बहुपक्षीय समर्थन:

  • मंगोलिया ने भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन व्यक्त किया।

  • साथ ही, भारत की 2028–29 की अस्थायी सीट उम्मीदवारी का भी समर्थन किया।

पर्यावरण और रक्षा सहयोग:

  • मंगोलिया ने भारत की पहल इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (International Big Cat Alliance) में शामिल होकर वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया।

  • भारत के उलानबटार दूतावास में एक निवासी रक्षा एटैचे (Defence Attaché) की नियुक्ति की जाएगी।

प्रमुख बिंदु

  • 70 वर्ष के राजनयिक संबंध और 10 वर्ष की रणनीतिक साझेदारी (2025)

  • 10 MoUs पर हस्ताक्षर — मानवीय, डिजिटल, और खनिज क्षेत्रों में

  • $1.7 अरब तेल रिफाइनरी परियोजना, मंगोलिया की ऊर्जा सुरक्षा हेतु

  • मंगोलियाई नागरिकों के लिए निःशुल्क ई-वीजा

  • बौद्ध और सांस्कृतिक पहलें — अवशेष, संस्कृत शिक्षा, नालंदा–गंदन संबंध

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