भारत ने बायोई3 नीति (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, रोजगार) के तहत अपना पहला राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क (NBN) लॉन्च किया। इस पहल को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुरू किया। यह कदम भारत को सतत बायोटेक्नोलॉजी और स्वदेशी बायोमैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रगति माना जा रहा है।
राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क क्या है?
राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क (NBN) एक सहयोगात्मक राष्ट्रीय स्तर का मंच है, जिसमें छह प्रमुख बायोटेक्नोलॉजी संस्थान शामिल हैं। इसका उद्देश्य बायोटेक अनुसंधान को व्यावहारिक और बाज़ार-तैयार समाधानों में बदलना है। यह इन क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देगा:
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उन्नत बायोमैन्युफैक्चरिंग
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सिंथेटिक बायोलॉजी
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जीन एडिटिंग (CRISPR तकनीक सहित)
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जलवायु-स्मार्ट कृषि
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हरित बायोटेक्नोलॉजी
यह एक वन-स्टॉप इकोसिस्टम है जो डिज़ाइन → प्रोटोटाइप → परीक्षण → स्केल-अप तक की सभी प्रक्रियाओं को सुगम बनाएगा।
राष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क के उद्देश्य
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स्वदेशी बायोमैन्युफैक्चरिंग क्षमता को मजबूत करना।
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बायोई3 नीति के तीन स्तंभों (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, रोजगार) के लक्ष्यों को पूरा करना।
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अनुसंधान से बाज़ार तक बायोटेक नवाचारों की गति को तेज़ करना।
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युवा नवाचार, स्टार्ट-अप्स और उद्यमिता को प्रोत्साहित करना।
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भारत को सतत बायोटेक्नोलॉजी में वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाना।
बायोफाउंड्री नेटवर्क की प्रमुख विशेषताएँ
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एकीकृत नेटवर्क : छह संस्थान एक ही मंच पर मिलकर कार्य करेंगे।
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एंड-टू-एंड सुविधा : डिज़ाइन से लेकर स्केल-अप तक संपूर्ण ढांचा।
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आधुनिक तकनीकी फोकस : सिंथेटिक बायोलॉजी, जीन एडिटिंग, सतत बायोटेक्नोलॉजी पर काम।
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नवाचार फंडिंग : बायोई3 चैलेंज से जुड़ाव, युवाओं के स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन।
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वैश्विक सहयोग : अंतरराष्ट्रीय बायोफाउंड्री नेटवर्क्स के साथ ज्ञान साझेदारी।
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रोज़गार और स्टार्ट-अप बढ़ावा : बायोटेक क्षेत्र में नए रोज़गार और स्टार्ट-अप्स का निर्माण।
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सतत विकास दृष्टिकोण : जलवायु लचीलापन, अपशिष्ट में कमी और बायो-आधारित अर्थव्यवस्था पर जोर।
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ओपन एक्सेस : शैक्षणिक जगत, उद्योग और शोधकर्ताओं के लिए अधोसंरचना तक पहुँच।


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