भारत के कृषि-निर्यात और पोषण मिशनों को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन देते हुए, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने छत्तीसगढ़ से पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) को 20 मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल (Fortified Rice) के निर्यात को सफलतापूर्वक सक्षम बनाया है।
यह पहल इस बात को रेखांकित करती है कि भारत अब उच्च गुणवत्ता वाले, मूल्य-वर्धित (Value-added) और पोषण-केंद्रित खाद्य उत्पादों की आपूर्ति करने में वैश्विक स्तर पर सक्षम बनता जा रहा है। यह भारत के उस व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसके तहत देश वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा (Global Food and Nutritional Security) में योगदान देना चाहता है।
क्या है फोर्टिफाइड चावल?
फोर्टिफाइड चावल साधारण चावल नहीं होता, बल्कि इसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) के साथ समृद्ध किया जाता है, जैसे —
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लौह (Iron)
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फोलिक एसिड (Folic Acid)
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विटामिन B12 (Vitamin B12)
इन पोषक तत्वों को एक्सट्रूज़न प्रक्रिया (Extrusion Process) के माध्यम से चावल के आटे में मिलाया जाता है और प्राकृतिक दानों जैसे आकार में ढाला जाता है।
बाद में इन फोर्टिफाइड दानों को सामान्य चावल में निर्धारित अनुपात में मिलाया जाता है, जिससे उसके पोषण मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
यह तकनीक विशेष रूप से कुपोषण से लड़ने (Combating Malnutrition) में सहायक है, खासकर कमजोर और गरीब आबादी के बीच।
निर्यात पहल की मुख्य विशेषताएँ
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| निर्यातक (Exporter) | एम/एस स्पंज एंटरप्राइज़ेज प्रा. लि., रायपुर |
| निर्यात मात्रा (Export Volume) | 20 मीट्रिक टन |
| गंतव्य (Destination) | पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) |
| समन्वय (Coordinated by) | एपीडा (APEDA), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत |
| सहयोग (Supported by) | छत्तीसगढ़ सरकार और राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ (TREA-CG) |
यह निर्यात भारत की पोषण-उन्मुख कृषि-उत्पादों (Nutrition-driven Agri-exports) में बढ़ती भूमिका और फोर्टिफाइड खाद्य समाधान (Fortified Food Solutions) के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरते स्थान को दर्शाता है।
क्षेत्रीय प्रभाव – छत्तीसगढ़
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छत्तीसगढ़ को फोर्टिफाइड चावल और खाद्य उत्पादों के निर्यात का प्रमुख केंद्र (Key Export Hub) बनने की दिशा में स्थापित करता है।
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राज्य के किसानों, मिलर्स और निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करता है।
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कृषि-औद्योगिक क्षमता (Agro-industrial Capacity) और वैश्विक व्यापार में पहचान (Global Trade Visibility) को मजबूत करता है।
यह पहल भारत के “संपूर्ण पोषण, सशक्त किसान” के लक्ष्य को समर्थन देती है और यह दर्शाती है कि देश कृषि से पोषण तक (Farm to Nutrition) के समग्र दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर साकार कर रहा है।


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