भारत और मिस्र ने अपने संयुक्त विशेष बल अभ्यास ‘साइक्लोन-III’ (CYCLONE-III) के तीसरे संस्करण की शुरुआत राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में की है। यह अभ्यास 10 से 23 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जाएगा और दोनों देशों के बढ़ते सैन्य सहयोग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे पहले, दूसरा संस्करण जनवरी 2024 में मिस्र में आयोजित किया गया था। इस अभ्यास का उद्देश्य भारत और मिस्र की विशेष बलों के बीच रणनीतिक समन्वय और अंतरसंचालनीयता (इंटरऑपरेबिलिटी) को मजबूत करना है।
साइक्लोन-III अभ्यास क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत-मिस्र संयुक्त विशेष बल अभ्यास ‘साइक्लोन-III’ का उद्देश्य सैन्य सहयोग को मजबूत करना है, जिसमें विशेष अभियानों की रणनीति, आतंकवाद विरोधी (काउंटर-टेररिज्म) अभ्यास और उन्नत सैन्य रणनीतियों पर ध्यान दिया जाता है। इस अभ्यास में दोनों देशों से 25-25 सैनिक भाग ले रहे हैं। भारतीय दल में दो विशेष बल बटालियन (स्पेशल फोर्सेज बटालियन) के सैनिक शामिल हैं, जबकि मिस्री टीम में मिस्र की विशेष बल समूह (स्पेशल फोर्सेज ग्रुप) और टास्क फोर्स के सदस्य शामिल हैं।
इस अभ्यास के प्रमुख पहलू हैं:
- शारीरिक सहनशक्ति और संयुक्त योजना: उच्च फिटनेस स्तर और समन्वित अभियान रणनीतियों को सुनिश्चित करना।
- युद्ध कौशल अभ्यास: विशेष सैन्य युद्ध तकनीक और मिशन निष्पादन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना।
- आतंकवाद विरोधी प्रशिक्षण: 48 घंटे का एक सत्यापन अभ्यास, जिसमें मरुस्थलीय और अर्ध-रेगिस्तानी परिस्थितियों में वास्तविक परिदृश्यों की नकल की जाएगी।
साइक्लोन-III भारत-मिस्र रक्षा संबंधों को कैसे मजबूत करता है?
हाल के वर्षों में भारत और मिस्र के बीच रक्षा सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह संयुक्त सैन्य अभ्यास रणनीतिक योजना, युद्ध कौशल साझा करने और रक्षा तैयारी को बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसके अलावा, यह भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को भी प्रदर्शित करता है, जिसमें भारतीय बल अपने उन्नत सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन मिस्री समकक्षों के सामने करेंगे।
यह अभ्यास भारत की व्यापक रक्षा कूटनीति का भी हिस्सा है, जो मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में बढ़ रहा है। मिस्र, जो क्षेत्रीय सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इस अभ्यास से विशेष रूप से मरुस्थलीय युद्ध अभियानों और सुरक्षा खतरों के समाधान में लाभान्वित होगा।
साइक्लोन अभ्यासों का ऐतिहासिक महत्व
‘साइक्लोन’ अभ्यासों की शुरुआत भारत और मिस्र के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ाने और सैन्य समन्वय में सुधार के लिए की गई थी।
- पहला ‘साइक्लोन’ अभ्यास भारत में आयोजित किया गया था।
- दूसरा संस्करण जनवरी 2024 में मिस्र में संपन्न हुआ।
- तीसरा संस्करण ‘साइक्लोन-III’ अब राजस्थान में आयोजित किया जा रहा है।
ये अभ्यास दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं कि वे रक्षा सहयोग को मजबूत कर रहे हैं और आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं।
साइक्लोन-III क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत-मिस्र सैन्य सहयोग केवल आपसी रक्षा संबंधों को मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उभरती सुरक्षा चुनौतियों के समाधान में भी सहायक है। दोनों देश अपनी सामरिक भौगोलिक स्थिति के कारण वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों, मरुस्थलीय युद्ध रणनीतियों और विशेष बलों के अभियानों में उनकी तत्परता को बढ़ाता है।
संयुक्त सैन्य प्रयासों से न केवल अभियानगत दक्षता (ऑपरेशनल एफिशिएंसी) में सुधार होगा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता भी मजबूत होगी। रक्षा साझेदारी और तकनीकी प्रगति पर बढ़ते ध्यान के साथ, भारत और मिस्र एशियाई और मध्य पूर्वी देशों के बीच सैन्य सहयोग के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहे हैं।
प्रमुख बिंदु | विवरण |
क्यों चर्चा में? | भारत और मिस्र ने 10 से 23 फरवरी 2025 तक राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में संयुक्त विशेष बल अभ्यास ‘साइक्लोन-III’ (CYCLONE-III) के तीसरे संस्करण की शुरुआत की। पिछला संस्करण जनवरी 2024 में मिस्र में आयोजित किया गया था। दोनों देशों ने 25-25 सैनिकों को तैनात किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य अंतरसंचालनीयता (इंटरऑपरेबिलिटी), आतंकवाद विरोधी अभियानों और रेगिस्तानी युद्ध रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना है। |
स्थान | महाजन फील्ड फायरिंग रेंज, राजस्थान, भारत |
अभ्यास का नाम | साइक्लोन-III (CYCLONE-III) |
सहभागी देश | भारत और मिस्र |
भारतीय दल | दो विशेष बल बटालियन (स्पेशल फोर्सेज बटालियन) के सैनिक |
मिस्री दल | मिस्र की विशेष बल समूह (स्पेशल फोर्सेज ग्रुप) और टास्क फोर्स |
मुख्य ध्यान क्षेत्र | शारीरिक सहनशक्ति, संयुक्त योजना, सामरिक अभ्यास (टैक्टिकल ड्रिल्स), आतंकवाद विरोधी अभियान |
अवधि | 10 फरवरी – 23 फरवरी 2025 |
पिछला संस्करण | जनवरी 2024 में मिस्र में आयोजित |
पहला संस्करण | भारत में आयोजित |
राज्य (राजस्थान) – मुख्यमंत्री | भजन लाल शर्मा |
राज्य (राजस्थान) – राज्यपाल | हरिभाऊ बागडे |
भारत का रक्षा निर्यात फोकस | भारतीय पक्ष स्वदेशी रक्षा उपकरणों का प्रदर्शन करेगा |