भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सार्वजनिक क्षेत्र के लेखापरीक्षा में सहयोग को बढ़ावा देने हेतु संयुक्त अरब अमीरात (यूएई ) जवाबदेही प्राधिकरण के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के यूएई जवाबदेही प्राधिकरण के अध्यक्ष हुमैद ओबैद खलीफा ओबैद अबुशिब ने अबू धाबी, यूएई में हस्ताक्षर किए। सीएजी भारत में सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है, और यूएई जवाबदेही प्राधिकरण यूएई में सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है।
एमओयू का उद्देश्य
एमओयू का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की लेखापरीक्षा में दोनों संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के लेखापरीक्षा में ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है। इसका उद्देश्य इन दोनों देशों में प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करके दोनों देश के लेखा परीक्षकों की क्षमता विकास को सुविधाजनक बनाना है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी)
भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। डॉ. भीम राव अंबेडकर , सीएजी को संविधान के तहत सबसे महत्वपूर्ण पद मानते थे। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक, जिसे सार्वजनिक निधि के संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है, सार्वजनिक वित्त का संरक्षक और देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली का नियंत्रक है। यह नियंत्रक का कार्य नहीं करता है।
यह भारत में सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है जो केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, पुदुचेरी, जम्मू और कश्मीर) के खातों का लेखापरीक्षा करती है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के खातों का भी लेखापरीक्षा करता है। सीएजी केंद्र सरकार के लेखापरीक्षा का रिपोर्ट राष्ट्रपति को और राज्य खातों के लेखापरीक्षा का रिपोर्ट, संबंधित राज्य के राज्यपालों को सौंपी जाती है। सीएजी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्वारा संसद में और संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा राज्य विधानमंडल में रखी जाती है।