केंद्रीय मंत्री किरति वर्धन सिंह ने घोषणा की कि वित्तीय वर्ष 2024–25 में भारत-अफ्रीका व्यापार 100 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है, जो 2019–20 के 56 अरब डॉलर की तुलना में लगभग दोगुना है। यह मज़बूत वृद्धि न केवल भारत की स्थिति को अफ्रीका में शीर्ष पाँच निवेशकों में मज़बूत करती है, बल्कि गहरे सहयोग और साझा विकास की दिशा में एक रणनीतिक कदम भी है।
आर्थिक संबंधों का एक दशक
व्यापार और निवेश में वृद्धि
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2019–20 के 56 अरब डॉलर की तुलना में 2024–25 में द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
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1996 से 2024 के बीच अफ्रीका में भारतीय निवेश 75 अरब डॉलर से अधिक रहा, जिससे भारत महाद्वीप के शीर्ष पाँच निवेशकों में शामिल हो गया।
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यह वृद्धि केवल लेन-देन तक सीमित नहीं है, बल्कि विश्वास, सहयोग और साझा विकासात्मक लक्ष्यों की ठोस नींव को भी दर्शाती है।
रियायती ऋण और अनुदान सहयोग
भारत ने अपनी विकास साझेदारी को मज़बूत करने के लिए—
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12 अरब डॉलर से अधिक के रियायती ऋण उपलब्ध कराए।
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विभिन्न अफ्रीकी परियोजनाओं के लिए 700 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया।
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अफ्रीकी युवाओं के लिए 50,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान कीं, जिनमें से 42,000 से अधिक का उपयोग पहले ही हो चुका है।
ये प्रयास अफ्रीका में मानव पूँजी, आधारभूत ढाँचे और आर्थिक क्षमताओं को मज़बूत बना रहे हैं।
संकट के समय भारत का सहयोग
भारत ने हमेशा अफ्रीका के साथ एकजुटता दिखाई है और आपातकालीन परिस्थितियों में मदद की है—
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मोज़ाम्बिक, मेडागास्कर, मॉरीशस और अन्य देशों में राहत कार्य किए।
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मानवीय सहायता और आपदा राहत को तीव्रता और संवेदनशीलता के साथ पहुँचाया।
इन प्रयासों ने भारत की छवि को एक विश्वसनीय और संवेदनशील भागीदार के रूप में मज़बूत किया।
जलवायु और अवसंरचना पर सहयोग
भारत ने अफ्रीकी देशों को प्रमुख वैश्विक पहलों से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया है—
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आपदा-प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) – जिसका उद्देश्य अवसंरचना प्रणालियों को जलवायु झटकों के प्रति मज़बूत बनाना है।
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अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) – स्वच्छ विकास के लिए सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना।
ये मंच हरित ऊर्जा सहयोग और सतत विकास के लिए द्वार साबित हो रहे हैं।


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