भारत ने अपनी ऊर्जा संक्रमण यात्रा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए 2025 में पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है—जो कि मूल रूप से 2030 तक निर्धारित किया गया था। यह महत्वपूर्ण घोषणा केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा की गई और इसे भारत की ईंधन रणनीति में एक परिवर्तनकारी मोड़ माना जा रहा है। यह उपलब्धि ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करती है, स्थिरता को बढ़ावा देती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त बनाती है।
पृष्ठभूमि: एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EBP)
एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (EBP) की शुरुआत 2003 में की गई थी, जिसका उद्देश्य था भारत की आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता को कम करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना और घरेलू चीनी व कृषि क्षेत्रों को समर्थन देना। समय के साथ इस कार्यक्रम ने कई चरणों में प्रगति की — 2022 में 10% मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया गया था और अब 2025 में 20% मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित समय से पांच वर्ष पहले प्राप्त कर लिया गया है।
उपलब्धि का महत्व
2014 में जहां एथेनॉल मिश्रण दर केवल 1.5% थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 20% हो गई है — यानी 11 वर्षों में 13 गुना वृद्धि, जो एक बड़ी छलांग मानी जा रही है। इस उल्लेखनीय प्रगति से भारत को कई महत्वपूर्ण लाभ मिले हैं:
- ऊर्जा सुरक्षा: भारत की आयातित जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता में उल्लेखनीय कमी आई है।
- विदेशी मुद्रा की बचत: कच्चे तेल के आयात में कटौती कर भारत ने ₹1.36 लाख करोड़ की बचत की है।
- पर्यावरणीय लाभ: अब तक 698 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में कमी दर्ज की गई है, जो पेरिस समझौते के तहत भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को बल देता है।
- आर्थिक प्रभाव: किसानों और डिस्टिलरियों की आमदनी बढ़ी है, जैव ईंधन अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला है और कृषि-आधारित उद्योगों को नई ऊर्जा मिली है।
किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन
एथेनॉल मुख्य रूप से गन्ने से उत्पादित होता है, जो ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। यह पहल किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लाभदायक रही:
- ₹1.18 लाख करोड़ का भुगतान किसानों को – ग्रामीण आय में बढ़ोतरी।
- ₹1.96 लाख करोड़ का भुगतान डिस्टिलरियों को – ग्रामीण औद्योगिक विकास को गति।
- हाल ही में केंद्र सरकार ने मोलासेस-आधारित एथेनॉल की कीमतें बढ़ाने को मंज़ूरी दी है, जिससे उत्पादन और किसानों को अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा।
पर्यावरणीय और जलवायु लाभ
भारत की एथेनॉल नीति 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन लक्ष्य के अनुरूप है। एथेनॉल मिश्रित ईंधन के उपयोग से:
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है
- शहरी क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता बेहतर होती है
- फसल अवशेषों के उपयोग से सतत कृषि को बढ़ावा मिलता है


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